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Last Modified: शुक्रवार, 9 जून 2017 (16:01 IST)

हम सागरों को विवाद के क्षेत्रों में नहीं बदलने दे सकते : भारत

हम सागरों को विवाद के क्षेत्रों में नहीं बदलने दे सकते : भारत - United Nations
संयुक्त राष्ट्र। दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन के आक्रामक रुख के बीच भारत ने सागरों में नौवहन की स्वतंत्रता एवं समुद्री विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की महत्ता दोहराते हुए कहा है कि सागरों को विवाद के क्षेत्रों में नहीं बदला जा सकता।
 
विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने यहां महासभा में संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन को संबोधित करते हुए गुरुवार को कहा कि महासागरों के आसपास त्वरित एवं स्थायी आर्थिक विकास इस बात का सबूत है कि 21वीं सदी में आर्थिक इंजन नई दिशा में बढ़ रहे हैं।
 
महासागर सम्मेलन 5 जून को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आरंभ हुआ था और शुक्रवार को इसका समापन होगा। संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार इस प्रकार का सम्मेलन आयोजित किया है।
 
यह सम्मेलन वर्ष 2015 में सरकारों द्वारा पारित स्थायी विकास के एजेंडे 2030 में रेखांकित लक्ष्यों पर केंद्रित है। इसका लक्ष्य महासागरों एवं सागरों में तेजी से बढ़ते प्रदूषण की स्थिति से निपटने के लिए ठोस समाधान खोजना है।
 
विश्व महासागर दिवस के सम्मेलन को संबोधित करते हुए अकबर ने कहा कि 21वीं सदी को समानता एवं संप्रभुता के सिद्धांत और वे लोग आकार देंगे जिनका मानना है कि एक समूह में झगड़े का कोई स्थान नहीं होता।
 
उन्होंने कहा कि महासागरों के देशों को अकसर छोटा कहा जाता है। हम छोटे या बड़े में विश्वास नहीं करते। हर देश संप्रभु है। क्षमताएं अलग हो सकती हैं लेकिन सभी देशों के पास समान अधिकार हैं। (भाषा)
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