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Last Modified: मेलबर्न , शुक्रवार, 14 नवंबर 2014 (10:37 IST)

मोदी से क्या चाहते हैं ऑस्ट्रेलिया में बसे भारतीय...

मोदी से क्या चाहते हैं ऑस्ट्रेलिया में बसे भारतीय... - Modi in Australia
मेलबर्न। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर हैं और यहां रह रहे भारतीय समुदाय ने उनसे विदेशों में रह रहे भारतीयों को दोहरी नागरिकता देने का आग्रह करते हुए एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया है।
अभियान के प्रवक्ता और इंडियन ऑस्ट्रेलियन एसोसिएशन ऑफ न्यू साउथ वेल्स के अध्यक्ष यदु सिंह ने कहा कि समय आ गया है कि भारत सरकार प्रवासी भारतीयों को दोहरी नागरिकता प्रदान करे। उन्होंने दावा किया कि अभियान ऑस्ट्रेलिया में अभी शुरू ही हुआ है और उसे भारतीय समुदाय का समर्थन मिल रहा है।
 
सिंह ने कहा कि इसे दुनिया भर में रह रहे भारत वंशियों से, खास कर अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में रह रहे भारतीयों से उत्साहजनक समर्थन मिल रहा है। यह तब तक चलता रहेगा जब तक भारत दोहरी नागरिकता प्रदान करने पर विचार नहीं करता।
 
उन्होंने कहा कि दुनिया भर के 200 से अधिक देशों में करीब 2.5 करोड़ प्रवासी भारतीय, भारतीय मूल के लोग  और भारत के समुद्रपारीय नागरिक रह रहे हैं। वर्ष 2013-14 में उन्होंने भारत को करीब 70 अरब डॉलर का योगदान दिया था।
 
सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीआईओ और ओसीआई कार्ड में बदलाव की घोषणा की। इन हालिया बदलावों का स्वागत है। लेकिन इससे दूसरे देशों में रह रहे भारतीयों की दोहरी नागरिकता की पुरानी मांग पूरी नहीं होती। उन्होंने कहा कि ओवरसीज सिटिजनशिप कार्ड दोहरी नागरिकता से बहुत पीछे की बात है।
 
सिंह ने कहा कि ऑनलाइन याचिका में 900 से अधिक लोग पहले ही हस्ताक्षर कर चुके हैं और अभियान के लिए अपना समर्थन जाहिर कर चुके हैं।
 
उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दोहरी नागरिकता का वादा किया था और तब से वरिष्ठ राजनीतिज्ञों ने दोहरी नागरिकता के पक्ष में बयान ही दिए हैं।
 
याचिका में भारतीय विरासत के समुद्रपारीय नागरिकों को पूर्ण राजनीतिक एवं आर्थिक अधिकारों के साथ भारतीय पासपोर्ट देने, दोहरे पासपोर्ट धारक समुद्रपारीय भारतीयों, भारतीय पासपोर्ट वाले समुद्रपारीय भारतीयों के लिए सुविधाजनक मतदान का अधिकार देने की भी मांग की गई है। यह मतदान वाणिज्य दूतावास में या जिस देश में वह रह रहे हैं वहां के उच्चायोग या दूतावास परिसर में किया जा सकता है, मत डाक से या ऑनलाइन डाला जा सकता है। (भाषा)