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Last Updated : बुधवार, 27 जनवरी 2016 (13:04 IST)

ISIS का पैशाचिक कृत्य, बच्चों से बार-बार रेप...

ISIS का पैशाचिक कृत्य, बच्चों से बार-बार रेप... - ISIS rapes children
बच्चों का मासूम चेहरा देखकर कठोर से कठोर व्यक्ति का भी हृदय पिघल जाता है, लेकिन इस्लाम के नाम पर आतंक फैलाने वाले ISIS के राक्षस बच्चों से एक दिन में कई बार रेप करते हैं, जिससे वे पीड़ा से तड़पकर दम तोड़ तोड़ देते हैं। इतना ही नहीं ये शैतान महिलाओं और बच्चों की खुलेआम नीलामी भी कर रहे हैं।
 
अंतरराष्ट्रीय यजीदी मानवाधिकार संगठन के अध्यक्ष मिर्जा इस्माइल का कहना है कि इनमें से कुछ महिलाओं और लड़कियों ने आईएसआईएस लड़ाकों द्वारा एक दिन में कई-कई बार दुराचार के कारण सात, आठ और नौ वर्ष से कम उम्र के बच्चों को रक्तस्राव के कारण अपनी आंखों के सामने मरते देखा है। 
 
एक प्रमुख कुर्दिश मानवाधिकारों के वकील रेहान यालसिनदाग का कहना है कि  ISIS सदस्यों ने एंटेप (तुर्की) में एक कार्यालय खोल रखा है जिसके ज‍‍रिए  संगठन अगवा की गई महिलाओं और बच्चों को ऊंची कीमत पर बेच रहे हैं। इस देश के मंत्री और कानून का पालन कराने वाले अधिकारी कहां हैं जो कि देश में स्थि‍रता की बातें करते हैं।
 
यजीदी फेडरेशन ऑफ यूरोप की सह-अध्यक्ष लेला फरमान का कहना है कि पांच हजार लोगों को बंधक बनाकर रखा गया है। महिलाओं और बच्चों के साथ दुराचार होता है और बाद में उन्हें बेच दिया जाता है। ऐसे मामलों को अपराध समझा जाना चाहिए। 
 
रेहान का कहना है कि तुर्की ने बहुत सारी अंतरराष्ट्रीय संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन यह ऐसा नंबर एक देश है जो कि मानव अधिकारों की सं‍धियों का पेशेवर तरीके से पालन नहीं करता है।
 
इस महीने में जर्मन टेलिविजन स्टेशन, एआरडी (कंर्सोटियम ऑफ पब्लिक ब्रॉडकास्टर्स इन जर्मनी) ने ऐसे वीडियो फुटेज दिखाए हैं जिनमें सीरिया से लगी सीमा पर तुर्की के गाजीएंटेप (एंटेप) में एक सम्पर्क कार्यालय के जरिए आईएसआईएस द्वारा यौन दासों का कारोबार चलाया जा रहा है। 
हजारों यजीदी महिलाएं आईएसआईएस के कब्जे में... पढ़ें अगले पेज पर....

विदित हो कि अगस्त 1014 में इस्लामी स्टेट के जिहादियों ने चार लाख यजीदियों के शहर सिंजर पर हमला किया था। संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने इस बात की पुष्टि की है कि यहां पर कम से कम पांच हजार पुरुषों की हत्या की गई और कम से कम सात हजार महिलाओं और लड़कियों को यौन दासियां बना लिया गया था। हालांकि कुछ महिलाएं भागने में सफल हुईं या कुछ को फिरौती की रकम देने के बाद छुड़ा लिया गया। पर अभी भी हजारों की संख्या में यजीदी गायब हैं। 
 
जर्मन ब्रॉडकास्टर एआरडी ने अपने एक समाचार में ऐसी तस्वीरें दिखाई हैं जिनमें आईएसआईएस के लोग यजीदी गुलामों का बंटवारा कर रहे हैं। इसमें तुर्की में अंडरकवर फुटेज में आईएसआईएस ऑपरेटर्स को गुलामों की खरीद का भुगतान लेते हुए दिखाया गया है।
 
जर्मन टीवी चैनलों एनडीआर और एसडब्ल्यूआर ने अपनी वेबसाइट्‍स पर घोषणा की है, 'आईएस (इस्लामिक स्टेट) महिलाओं और कम उम्र के बच्चों को वर्चुअल सेल मार्केट में बिक्री के लिए रखता है। रिपोर्टर पता लगाता है कि पैसों का लेन-‍देन तुर्की स्थि‍त एक सम्पर्क कार्यालय के जरिए किया जाता है।'
 
हफ्तों तक एनडीआर और एसडब्ल्यूआर के लोग एक यजीदी निगोशिऐटर (मध्यस्थ) के साथ गए जिसने गुलामों और उनके बच्चों की आईएस से रिहाई के लिए बातचीत की। महिलाओं को डिजिटल स्लेव मार्केट में सबसे ऊंची बोली लगाने वाले, जोकि 15 हजार से लेकर 20 हजार डॉलर तक होती है, बेचते हैं। यजीदियों को छुड़ाने के लिए भी इतने ही पैसों की जरूरत होती है। रिहाई के लिए राशि को आईएस के सम्पर्क कार्यालय को ट्रांसफर किया जाता है और मध्यस्थों के जरिए आतंकवादी गुट तक पहुंचा दी जाती है।
 
एक महिला और उसके तीन छोटे बच्चों की रिहाई के समय एनडीआर और एसडब्ल्यूआर के लोग मौजूद थे। बच्चे दो से चार वर्ष की उम्र तक के थे। इन लोगों ने मध्यस्थता के बारे में जाना। कितनी यजीदी गुलाम महिलाएं अभी भी आईएस के कब्जे में हैं, यह स्पष्ट नहीं है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इनकी संख्या भी सैकड़ों में हो सकती है।
 
इस मध्यस्थ ने टीवी चैनलों को बताया कि एक वर्ष के दौरान उसने 250 यजीदी महिलाओं और बच्चों की रिहाई के लिए उनके परिवारों से करीब 25 लाख डॉलर की राशि आईएसआईएस तक पहुंचाई है। उसका यह भी कहना था कि गुलामों की बिक्री के लिए विज्ञापन करते समय आईएसआईएस गुलाम महिलाओं और बच्चों को एक खास नंबर देते हैं। बाद में, इनकी तस्वीरों को व्हाटएप मेसेंजर और स्मार्टफोन एप पर पोस्ट कर दिया जाता है। 
 
इन रिपोर्टों के आधार पर गाजीएंटेप बार एसोसिएशन ने तुर्की के राष्ट्रीय खुफिया संगठन (एमआईटी) के खिलाफ एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई है। इसमें कानून प्रवर्तन अधिकारियों को कर्तव्य की अवहेलना करने, दुराचरण करने के लिए दोषी बताया गया है क्योंकि उनकी लापरवाही को मीडिया ने लोगों के सामने ला दिया। उन्होंने मानव तस्करी, वेश्यावृत्ति, नरसंहार, स्वतंत्रता छीनने, मानवता के खिलाफ अपराध करने और प्रवासियों की तस्करी करने के लोगों को तुर्की के कानून के अनुसार सजा देने की मांग की है। 
ये है आईएस ले लड़ने वाले तुर्की का असली चेहरा... पढ़ें अगले पेज पर....

एक वकील बेकतास सारकली (जोकि स्थानीय बार ऐसोसिशएन के अध्यक्ष हैं) का कहना है, 'दुखद यथार्थ यही है कि एंटेप एक भीड़भाड़ वाला शहर हैं जहां से आत्मघाती बम फोड़ने वाले आसानी से सीरिया और इराक में प्रवेश करते हैं। दुर्भाग्य की बात है कि शहर आतंकवाद का निर्यात करता है।' यह शहर आईएसआईएस का सैन्य संचालन और निवेश का केन्द्र है।
 
एक कुर्दिश समर्थक पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचडीपी) के एक सांसद महमूद तोर्गुल ने देश के गृह मंत्री इफकान आला से आईएसआईएस के अवैध कार्यालय, यौन दासता कारोबार और इससे जुड़े बहुत सारे सवाल पूछे लेकिन मंत्री ने कोई भी जवाब नहीं दिया।
 
गाजीएंटेप में आईएसआईएस की मौजूदगी के समाचार अक्सर ही आते रहते हैं। समझा जाता है कि 'तुर्की आईएसआईएस के खिलाफ लड़ रहा है। लेकिन पेरिस में हुए हत्याकांड के बाद इस शहर में जश्न मनाया गया था।' 
 
तुर्की और अन्य देशों के इतिहास में पहले भी कई मौके आए हैं जबकि यजीदियों को इस्लामीकरण का शिकार होना पड़ा है। तुर्की में यजीदियों को मुस्लिम बनाने के हरसंभव प्रयास किए गए।  
 
तुर्की में वर्षों पहले सुरुक पूरी तरह से यजीदी लोगों का कस्बा था। इसी तरह विरानसेहीर यजीदियों का नगर था लेकिन आज सुरुक में एक भी यजीदी नहीं रहता है। वे तुर्की और इराक में रहते आए हैं लेकिन दोनों ही देशों में उन्हें कोई नागरिकता नहीं दी गई वरन इन्हें खत्म करने के सभी बर्बर उपाय किए गए। तुर्की की एक सांसद एरोल डोरा का कहना है कि पूरे तुर्की में वर्ष 2007 तक केवल 377 यजीदी रह गए हैं। उनका कहना है कि वे मुस्लिम नहीं हैं, इसलिए उनका 72 बार सफाया करने की कोशिश की गई।
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वे कुर्द हैं लेकिन कोई भी देश चाहे इराक या तुर्की न तो कुर्दिशनेस को स्वीकार करता है और यजीदी होने के कारण उनके धर्म को भी मान्यता नहीं मिलती। ज्यादातर देशों में यजीदी लोगों की पहचान में धर्म का कॉलम खाली ही छोड़ दिया जाता है। अन्य मुस्लिम देशों की तरह से तुर्की में भी यजीदियों को अन्य अल्पसंख्यकों की तरह प्रताड़ित किया। उनके साथ भेदभाव किया और उनके खिलाफ घृणात्मक बातें ही लिखी गईं या कही गईं।
 
इन लोगों को अपना ही देश छोड़कर भागना पड़ा। उनके गांवों और जमीनों पर कब्जा कर लिया गया। उनकी कृषि की जमीन हथिया ली गई और उनके पवित्र स्थलों पर कब्जाकर उन्हें नष्ट भ्रष्ट कर दिया गया। भाषा, धर्म और संस्कृति के नाम पर यजीदियों का खात्मा किया जा रहा है।
 
सीरिया और इराक में आईएसआईएस आतंकवादी उनका सामूहिक नरसंहार करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। उत्तरी इराक से जान बचाकर भागी यजीदी महिलाओं का कहना है कि ज्यादातर महिलाओं, लड़कियों, बच्चों को अगवा कर लिया गया। 
 
कुछ महिलाओं, और लड़कियों को उनके 7, 8 या नौ वर्ष से छोटे भाई बहनों को रक्तस्राव के कारण अपनी आंखों के सामने मरते देखा है क्योंकि आईएसआईएस मिलिशिया के लड़ाके उनके साथ एक दिन में कई-कई बार बलात्कार किया जाता था। यजीदी महिलाओं से उनके बच्चे छीन लिए गए और जब उन्होंने अपने बच्चों को मांगा तो उनसे कहा गया कि अभी अभी उन्होंने जो मांस खाया है, वह उनके बच्चों का ही था।  
 
जिन यजीदी लड़कियों ने इस्लाम अपनाने से इनकार कर दिया या आईएसआईएस लड़ाकों से शादी नहीं की, उन्हें जिंदा जला दिया गया। यजीदी बच्चों को जिहादी या आत्मघाती बॉम्बर बना दिया गया है। यह सब इसलिए क्योंकि वे मुस्लिम नहीं हैं। लेकिन शांति का धर्म कहलाने वाले मुस्लिम इन पूरी तरह से शांतिप्रिय लोगों को जिंदा जला रहे हैं।
 
वे दुनिया के सबसे शांतिप्रिय लोग हैं लेकिन समूची दुनिया के सामने उनका सामूहिक नरसंहार किया जा रहा है और वे दुनिया के हर हिस्से में मुस्लिम बर्बरता का शिकार हो रहे हैं। लेकिन इनकी हालत पर किसी भी देश को रहम नहीं आता है।