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Last Updated : मंगलवार, 19 फ़रवरी 2019 (00:01 IST)

सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों को लेकर ब्रिटिश सांसदों ने फेसबुक को लताड़ा

Facebook। सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों और भ्रामक जानकारियों को लेकर ब्रिटिश सांसदों की फेसबुक को लताड़ - Condemnation of Facebook
लंदन। ब्रिटिश सांसदों ने सोमवार को एक रिपोर्ट जारी करके फेसबुक पर ब्रिटेन में जान-बूझकर निजता संबंधी नियमों और प्रतिस्पर्धारोधी कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। साथ ही सोशल मीडिया कंपनियों पर अधिक निगरानी रखने का आह्वान किया।
 
सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों और भ्रामक जानकारियों पर यह रिपोर्ट 18 महीने की जांच-पड़ताल के बाद तैयार की गई है। रिपोर्ट तैयार करने वाली संसदीय समिति ने कहा कि सोशल मीडिया वेबसाइटों को अनिवार्य रूप से आचार संहिता का पालन करना चाहिए और हानिकारक या अवैध सामग्री को बेहतर तरह से नियंत्रित करने के लिए एक स्वतंत्र नियामक को इनकी निगरानी करनी चाहिए।
 
रिपोर्ट में फेसबुक को लेकर खासतौर पर कहा गया कि ऐसा लगता है कि साइट की संरचना को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि विशिष्ट निर्णयों के लिए ज्ञान और जिम्मेदारी को छिपाया जा सके। यह स्पष्ट है कि फेसबुक ने जान-बूझकर आंकड़ों की निजता (डेटा प्राइवेसी) और प्रतिस्पर्धारोधी संबंधी कानूनों का उल्लंघन किया है। 
 
संसद की मीडिया समिति ने रिपोर्ट में फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मार्क जुकरबर्ग पर ब्रिटेन की संसद की अवमानना का भी आरोप लगाते कहा कि जुकरबर्ग को कई बार समिति के सामने पेश होने के लिए कहा था कि लेकिन वे नहीं आए। रिपोर्ट में कहा गया है कि फेसबुक जैसी कंपनियों को ऑनलाइन दुनिया में डिजिटल गुंडे जैसे बर्ताव करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। वे अपने आपको कानून से आगे समझते हैं।
 
फेसबुक के ब्रिटेन के लोक नीति प्रबंधक करीम पलांट ने कहा कि फेसबुक ने फर्जी खबरों और ईमानदारी से चुनाव को लेकर समिति की चिंताओं को साझा किया और सार्थक विनियमन के लिए तैयार हैं। हालांकि इस दिशा में हम बहुत कुछ कर रहे हैं, हम वही कंपनी नहीं है, जो हम एक साल पहले थे।

उन्होंने कहा कि खराब समाग्री की पहचान और उससे उपयोगकर्ताओं को बचाने के लिए हमने अपनी टीम की संख्या को 3 गुना करके 30,000 कर दिया है और मंच के इस तरह के दुरुपयोग को रोकने में मदद के लिए मशीन लर्निंग, कृत्रिम मेधा और कम्प्यूटर विजन प्रौद्योगिकी में भारी निवेश किया है।
 
उल्लेखनीय है कि फेसबुक और अन्य इंटरनेट कंपनियों को इस बात के लिए जांच का सामना करना पड़ रहा है कि वे उपयोगकर्ताओं के आंकड़ों को किस तरह संभालती हैं। साथ ही उनकी इसके लिए भी उनकी आलोचना हो रही है कि वे चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश के लिए अपने प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग को रोकने में नाकाम हैं।