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Written By भाषा
Last Modified: ग्वाटेमाला सिटी , शुक्रवार, 11 मई 2012 (21:00 IST)

2012 में नहीं होगा दुनिया का अंत

माया सभ्यता का कैलेंडर का अज्ञात संस्करण मिला

2012 में नहीं होगा दुनिया का अंत -
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नास्त्रेदमस और माया सभ्यता की दुहाई देकर जहां इस वर्ष दुनिया का अंत होने की भविष्यवाणियां की जा रही थीं, वहीं ग्वाटेमाला के जंगलों में मिले माया कैलेंडर के एक अज्ञात संस्करण से खुलासा हुआ है कि अगले कई अरब वर्षों तक पृथ्वी पर मानव सभ्यता के अंत का कारण बनने वाली कोई भी प्रलयंकारी आपदा नहीं आएगी।

पूर्वोत्तर ग्वाटेमाला में शूलतुन के जंगलों में इस शोधकार्य को अंजाम देने वाले बोस्टन विश्वविद्यालय के पुरातत्वविद विलियम सेटर्नो ने कहा कि माया सभ्यता के पुरोहित दरअसल ब्रह्मांडीय समय को समझने का प्रयास कर रहे थे और यही वह जगह है, जहां वे इन गणनाओं को अंजाम दिया करते होंगे। यह लियोनार्दो द विंची की प्रयोगशाला में होने की तरह का-सा अहसास है।

शूलतुन में माया सभ्यता के एक प्राचीन शहर के खंडहर मौजूद हैं। इन खंडहरों में मौजूद एक दीवार पर यह कैलेंडर मौजूद है। लगभग आधे वर्ग मीटर आकार के इस कैलेंडर के अच्छी हालात में होने की बात कही जा रही है। वैज्ञानिक इसे अब तक मिला सबसे पुराना माया कैलेंडर करार दे रहे हैं। उनका दावा है कि यह कम से कम 1200 वर्ष पुराना रहा होगा।

माया पुरोहितों के जिस पूजा स्थल से इस कैलेंडर को बरामद किया गया है, उसमें माया राजाओं के विशालकाय भि‍त्त‍ि चित्र मौजूद हैं। पुरोहित समय की गणना करके राजाओं को शुभ मुहूर्त के बारे में सूचित किया करते थे। राजा अपने सभी फैसले शुभ मुहूर्त में ही लिया करते थे। प्राकृतिक आपदाओं से बचने और देवताओं को खुश करने के लिए माया सभ्यता में मानव बलि देने की भी प्रथा रही थी और इसके लिए आसपास के जंगलों में निवास करने वाले आदिवासियों को बड़े पैमाने पर बंदी बनाने का रिवाज था।

यह नया कैलेंडर पत्थर की एक दीवार में तराशा हुआ है, जबकि 2012 में दुनिया के अंत की भविष्यवाणी करने वाले सभी माया कैलेंडर पुरानी पांडुलिपियों में मिलते हैं, जिनमें अलग-अलग भित्ति चित्रों के माध्यम से अलग-अलग भविष्यवाणियां की गई हैं। दुनिया के अंत की घोषणा करने वाले सभी कैलेंडर इस पाषाण कैलेंडर से कई सौ वर्ष बाद तैयार किए गए थे।

शूलतुन के खंडहरों के इस पूजा स्थल की एक दीवार पर चंद्र कैलेंडर बना हुआ है, जो 13 वर्षों की गणना कर सकता है। इसके निकट की ही एक दीवार पर मौजूद तालिकाओं के आधार पर चार युगों की गणना हो सकती है, जो वर्ष 935 से लेकर 6700 ईसवी तक हैं।

शूलतुन के जंगलों में माया सभ्यता का महत्वपूर्ण शहर होने के बारे में पहली बार वर्ष 1915 में पता चला था। इसके बाद यहां खजाना चोरों ने कई बार सेंध लगाने का प्रयास किया, लेकिन उनके हाथ कुछ भी नहीं लगा। प्रोफेसर सैर्टनों के छात्र मैक्स चेम्बरलिन ने जब वर्ष 2010 में एक सुरंग से जाकर यहां कुछ भित्ति चित्रों के होने का पता लगाया तो पूरी टीम खुदाई में जुट गई और उन्होंने सदियों से गुमनामी में खोए माया सभ्यता के इस प्राचीन शहर को ढूंढ निकाला। सैटर्नो का दावा है कि यह पूरा शहर 16 वर्गमील में फैला हुआ है और इसे पूरी तरह से खोदकर बाहर निकालने के लिए अगले दो दशकों का समय भी कम है। (वार्ता)