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Written By भाषा
Last Modified: लंदन , शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012 (18:48 IST)

चिंता करिए, बुद्धिमान बनिए..!

चिंता करिए, बुद्धिमान बनिए..! -
क्या चिंता करने से व्यक्ति बुद्धिमान हो सकता है? यह पढ़कर आश्चर्य हो सकता है मगर एक अध्ययन में दावा किया गया है कि चिंता करने से बुद्धि बढ़ती है। ..तो फिर चिंता से अब चिंतित होने की जरूरत नहीं है और उस वाक्य को भी भूल जाइए जिसमें कहा गया है- 'चिंता चिता से बढ़कर है'।

एसयूएनवाई डॉनस्टेट मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं का कहना है कि चिंता को आमतौर पर एक नकारात्मक विशेषता माना जाता है और विद्वता को सकारात्मक विशेषता के तौर पर देखा जाता है, लेकिन यह दोनों ही गुण आपस में जुड़े हुए हैं।

सेंटर की विज्ञप्ति के अनुसार अधिक चिंता करना अधिक बुद्धिमान होने का लक्षण है, क्योंकि ऐसे में व्यक्ति तमाम पहलुओं को लेकर आशंकित रहता है और कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। ऐसे में उसके बेहतर काम करने के अवसर अधिक रहते हैं, इसलिए चिंता को भी बुद्धि की ही तरह इंसान की लाभकारी विशिष्टता माना जाना चाहिए।

अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं में एंग्जायटी अर्थात चिंता के रोग के शिकार लोगों और उनके मुकाबले स्वस्थ स्वयंसेवकों को शामिल किया और आईक्यू परीक्षण के जरिए उनके बौद्धिक स्तर का आकलन किया। (भाषा)