शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. समाचार
  4. »
  5. अंतरराष्ट्रीय
Written By भाषा

मुशर्रफ की मुश्किलें बढ़ीं

मुशर्रफ की मुश्किलें बढ़ीं -
पाकिस्तान में आम चुनाव से पूर्व सत्तारूढ़ पार्टी में विघटन की लहर से राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की मुश्किलें बढ़ गई हैं जो पहले से ही देश में इस्लामिक आतंकवाद, आसमान छूती कीमतों और अमेरिकी समर्थन से राष्ट्रपति पद पर आसीन रहने के आरोपों के बीच जनता के असंतोष से जूझ रहे हैं।

मुशर्रफ समर्थक सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू) को पंजाब प्रांत के ग्रामीण इलाकों में जीत का भरोसा है। यह देश का सबसे बड़ा प्रांत है और यहाँ नेशनल असेम्बली की 342 सीटों में से 183 सीटें मौजूद हैं, लेकिन नेशनल असेम्बली के 13 तथा प्रांतीय असेम्बलियों के 18 सदस्य पार्टी का दामन छोड़कर जा चुके हैं।

तीनों राजनीतिक दलों के अधिकारियों द्वारा दाखिल किए गए आँकड़ों से यह बात सामने आई है। निवर्तमान कैबिनेट के तीन मंत्री भी पार्टी का साथ छोड़कर जाने वालों में शामिल हैं।

अधिकतर चुनावी विश्लेषकों को उम्मीद है कि 18 फरवरी को होने जा रहे आम चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी अधिकांश सीटों पर जीत दर्ज करेगी।

पार्टी को 27 दिसंबर को भुट्टो की हत्या से उपजी सहानुभूति लहर का भी फायदा मिलेगा। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पार्टी के भी चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है।

सत्तारूढ़ पार्टी को छोड़कर शरीफ की पार्टी में जाने वाले पंजाब के सरगोधा शहर के सांसद मजहर कुरैशी कहते हैं मैं मुशर्रफ की पिछली सरकार के नाम पर वोट माँगने के लिए जनता के पास नहीं जा सकता। मैंने देखा है कि मुशर्रफ तथा उनके सहयोगी जनता के बीच अपना विश्वास गँवा चुके हैं।

पीएमएल-क्यू का अपने बचाव में कहना है कि उसने देश में आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया। पार्टी का यह भी कहना है कि सांसदों का राजनीतिक दलों में आना-जाना पाकिस्तान की राजनीति का हिस्सा है।

पंजाब प्रांत के लिए पीएमएल-क्यू के प्रवक्ता कामिल अली आगा कहते हैं यह एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। लोग पार्टी बदलते रहते हैं। पूरे पाकिस्तान में हमारे 200 से अधिक उम्मीदवार हैं। यदि कुछ दूसरी पार्टी में चले भी जाते हैं तो यह कोई बड़ी बात नहीं है। हमारे स्तर पर यह दलबदल नहीं है।