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Written By Author सुरेश डुग्गर
Last Updated : मंगलवार, 12 मार्च 2019 (13:01 IST)

कश्मीर की एक लोकसभा सीट पर 3 चरणों में होगा मतदान

Jammu Kashmir। कश्मीर की एक लोकसभा सीट पर 3 चरणों में होगा मतदान - Jammu Kashmir
जम्मू। पिछले 21 सालों से जिस अनंतनाग संसदीय क्षेत्र को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी अर्थात पीडीपी के दिवंगत संस्थापक मुफ्ती मुहम्मद सईद अपनी बपौती समझते रहे हैं, उस पर इस बार एक नया प्रयोग होने जा रहा है। देश में ऐसा पहली बार होगा कि किसी लोकसभा सीट के लिए मतदान एक ही नहीं, बल्कि 3 चरणों में होंगे। कारण पूरी तरह से स्पष्ट है। दरअसल आतंकवाद अभी भी इस संसदीय सीट के क्षेत्र में भारी साबित हो रहा है।
 
यूं तो जबसे आतंकवाद ने कश्मीर में पांव पसारे हैं, दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग और पुलवामा जिलों ने नाक में दम कर रखा है। और यही दोनों जिले मिलकर अनंतनाग के संसदीय क्षेत्र का निर्माण करते हैं, जहां से पिछली बार पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने संसदीय चुनाव तो जीता, पर मुख्यमंत्री बनने के बाद वे पुन: इस संसदीय क्षेत्र में चुनाव करवाने में असफल ही रहीं।
 
कश्मीर में सबसे अधिक सुर्खियों में यही संसदीय क्षेत्र रहा है। अब तो पुलवामा में केरिपुब के जवानों पर हुए घातक हमले के बाद तो यह अभी भी इंटरनेशनल हेडलाइनों से नीचे ही नहीं उतरा है। ऐसे में इस संसदीय क्षेत्र में मतदान करवाना कोई खाला जी का घर नहीं है।
 
2014 के संसदीय चुनावों में इस संसदीय सीट पर मात्र 27 परसेंट मतदान हुआ था, जो वर्ष 2009 के संसदीय चुनावों के रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पाया था। इतना जरूर था कि मतदान न करने का नया रिकॉर्ड जरूर बन गया था इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कई विधानसभा क्षेत्रों में।
 
महबूबा मुफ्ती ने 4 अप्रैल 2016 को मुख्यमंत्री पद संभाला तो उनकी दिली तमन्ना थी कि इस संसदीय क्षेत्र से परिवारवाद की बेल को बढ़ाया जाए और अपने भाई तस्सदुक मुफ्ती को इस संसदीय क्षेत्र से उन्होंने चुनाव मैदान में उतारा भी लेकिन आतंकवाद का भस्मासुर इतना तेज निकला कि अधबीच में ही चुनाव आयोग को सुरक्षा कारणों से चुनाव प्रक्रिया स्थगित कर देनी पड़ी।
 
2016 से लेकर अब तक इस संसदीय क्षेत्र में मतदान करवाने की किसी ने सोची भी नहीं, क्योंकि आतंकवाद की ज्वाला सामने आ जाती थी। अब हालांकि चुनाव आयोग ने डरते-डरते इस संसदीय क्षेत्र में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पूरा करने की हिम्मत तो दिखाई है लेकिन वह एक ऐसा नवीन प्रयोग करने जा रहा है, जो देश में पहली बार होगा।
 
जम्मू-कश्मीर के 6 संसदीय क्षेत्रों में से 5 में तो एक ही दिन और 1-1 चरण में मतदान घोषित किया गया है, पर अनंतनाग-पुलवामा संसदीय क्षेत्र के लोग टुकड़ों में अर्थात 23 व 29 अप्रैल तथा 6 मई को मतदान करेंगे। इसके लिए संसदीय क्षेत्र के हिस्सों को 3 भागों में बांटा जाएगा तथा सुरक्षा के इंतजाम भी 3 गुना करने की खातिर अतिरिक्त फोर्स की मांग कर दी गई है।

यह बात अलग है कि राजनीतिक पंडितों को लगता नहीं है कि इस संसदीय क्षेत्र में मतदान शांतिपूर्वक हो पाएगा तथा यह 2014 के संसदीय चुनावों का रिकॉर्ड भी छू सके, क्योंकि पुलवामा जहन में घूम रहा है।
 
कश्मीर में लोकसभा चुनावों के लिए कई मोर्चों पर तैयारी आरंभ : देशभर में लोकसभा चुनावों के लिए सिर्फ राजनीतिक दल ही कमर कस रहे हैं, पर जम्मू-कश्मीर में कई पक्ष इसके लिए कमर कसने लगे हैं। राजनीतिक दलों की ओर से चुनावी समर में कूदने की कवायद अगर तेज हुई है तो सुरक्षाबलों के लिए यह मोर्चा आसान इसलिए नहीं है, क्योंकि वे आप स्वीकार करते हैं कि आतंकियों के साथ-साथ पाकिस्तान भी इन चुनावों के दौरान गुल खिलाने से बाज नहीं आएगा। अगर दूसरे शब्दों में कहें तो इस बार करीब 2 माह तक कश्मीरी जनता की जान सांसत में फंसी रहेगी, यह सच है। अधिकारी आप कह रहे हैं कि आतंकी किसी भी समय अपनी चुनाव विरोधी मुहिम आरंभ कर सकते हैं।
 
अधिकारी कह रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर के लिए लोकसभा चुनावों के लिए घोषित 5 चरणों में होने वाले इस चुनाव में सभी चरणों के बीच के समय का लाभ आतंकी उठाने का प्रयास करेंगें। यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर में तैनात सुरक्षाबलों को मतदान के दिन के साथ ही पांचों चरणों के बीच के समय में अधिक सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
 
कहा यह जा रहा है कि आतंकियों के कहर से आम नागरिकों को बचाने के इरादों से ही राज्य में चुनावों को 5 चरणों में फैलाया गया है। बावजूद इसके, सभी आशंकित हैं कि चुनाव चरणों के बीच के समय का लाभ आतंकी मतदाताओं को डराने-धमकाने के लिए उठा सकते हैं और प्रथम चरण के बाद उनका मकसद अगले चरण के लिए मतदान के लिए तैयार लोगों को भयभीत करना होगा।