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Last Updated : गुरुवार, 11 नवंबर 2021 (14:43 IST)

National Education Day 2021: 'किसी भी देश को विकासशील और समृद्ध बनाने के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है' - मौलाना अबुल कलाम आजाद

National Education Day 2021: 'किसी भी देश को विकासशील और समृद्ध बनाने के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है' - मौलाना अबुल कलाम आजाद - 11th November birth anniversary of Maulana Abul Kalam Azad national education day 2021
हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। डॉ सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍ण की याद में जन्मदिन मनाया जाता है। वहीं  11 नवंबर को मौलाना अब्‍दुल कलाम आजाद का जन्मदिन मनाया जाता है। जिसे राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इन दोनों में अंतर क्‍या है सबसे पहले यह जान लेते हैं। दरअसल, 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर शिक्षक के महत्व का साझा किया जाता है। वहीं 11 नवंबर को शिक्षा के महत्व को साझा किया जाता है। 11 नवंबर 1888 को मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म हुआ था। वे देश के पहले शिक्षा मंत्री थे। जिन्होंने आजादी के बाद से देश में शिक्षा को मजबूत से पेश किया। उसके महत्व को समझाया। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, 'किसी भी देश को विकास और समृद्ध बनाने के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। साल 2008 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा शिक्षा दिवस के रूप में मान्यता दी गई। इसके बाद से हर साल 11 नवंबर को शिक्षा दिवस मनाया जाता है। आइए जानते हैं मौलाना अबुल कलाम आजाद द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के बारे में -

- मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्‍म मक्का में हुआ था। वह बचपन से ही पढ़ाई में होनहार थे। उनके माता-पिता स्कॉलर थे। बाद में अबुल कलाम आजाद भी स्कॉलर बन गए। जब वे 12 साल के थे तब से ही लिखना शुरू कर दिया था। बल्कि उनके कॉलम छपने लगे थे। और अपने से बड़ों को वह तालिम देते थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर से हुई थी। उन्हें अंग्रेजी, हिंदी, बंगाली, उर्दू समेत कई अन्‍य भाषाओं को ज्ञान था।


- मौलाना अबुल कलाम महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर चलते थे। वह अहिंसा में विश्वास करते थे। वह पाकिस्तान के बंटवारे को लेकर जिन्ना पर खासे नाराज हुए थे। वह कभी हिंदू-मुस्लिम में भेदभाव नहीं करते थे।

- आजाद भारत के बाद 1947 से 1958 तक वह देश के शिक्षा मंत्री रहे। और शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए। स्‍वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे मौलाना आजाद ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT)और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्‍थापना की थी। इसी के साथ 1953 में संगीत नाटक अकादमी, 1954 में साहित्‍य अकादमी और ललित कला अकादमी की स्थापना की। इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर प्रमुख है।

- मौलाना आजाद का शिक्षा पर बहुत अधिक जोर था। वह कहते थे छात्रों को हमेशा रचनात्मक होना चाहिए। उन्हें हमेशा सबसे बिल्कुल अलग ढंग से सोचना चाहिए।