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Last Updated : मंगलवार, 26 अक्टूबर 2021 (19:12 IST)

इंदौर के नाम दर्ज हुई एक और उपलब्धि, दिव्यांगता पुनर्वास के क्षेत्र में देश में सर्वश्रेष्ठ जिला बना इंदौर

इंदौर के नाम दर्ज हुई एक और उपलब्धि, दिव्यांगता पुनर्वास के क्षेत्र में देश में सर्वश्रेष्ठ जिला बना इंदौर - Indore became the best district in the country in the field of disability rehabilitation
इंदौर। अपनी स्वच्छता के लिए देशभर में जाना जाने वाले इंदौर जिले ने अपने नाम एक और उपलब्धि दर्ज की है। भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा दिव्यांगजनों को पुनर्वास सेवाएं प्रदान करने के क्षेत्र में इंदौर जिले को सर्वश्रेष्ठ जिले के रूप में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देशन में इंदौर जिले को डिसेबल्ड फ्रेंडली बनाने के लिए विभिन्न तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हीं प्रयासों के परिणामस्वरूप विश्व दिव्यांग दिवस 3 दिसंबर 2021 को इंदौर जिले को दिव्यांगता पुनर्वास के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ जिले के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
 
उल्लेखनीय है कि इंदौर जिले में स्थापित जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र के माध्यम से 4,500 हजार से अधिक दिव्यांगजनों को उपचार एवं मेडिकल सुविधाएं प्रदान की गई हैं। पुनर्वास केंद्र में जिले के शिक्षकों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, एएनएम को जिले के दिव्यांगजनों के साथ बेहतर संपर्क बनाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षित किया जाता है। इसके अतिरिक्त पुनर्वास केंद्र द्वारा जनजागरण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
 
कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देशन में कोविड-19 के दौरान लगे लॉकडाउन में इंदौर जिले में फंसे 275 से अधिक छात्रों एवं मजदूरों को उनके गृह जिले एवं राज्य भेजा गया था। इसी दौरान दिव्यांगजन हेल्पलाइन द्वारा 500 से अधिक दिव्यांगजनों की ऑनलाइन काउंसलिंग की गई थी। इंदौर में दिव्यांग छात्र-छात्राओं को प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए विशेष कोचिंग क्लासेज भी आयोजित की जाती हैं।
 
इंदौर मध्यप्रदेश का ऐसा पहला जिला है, जहां 6ठी कक्षा के दृष्टिबाधित छात्र-छात्राओं के लिए स्मार्ट क्लासेज भी आयोजित की जा रही हैं। इंदौर में ज्यादा से ज्यादा दिव्यांगजनों को यूनिक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड भी वितरित किए जा रहे हैं। जिले में संचालित किए जा रहे 32 विशेष विद्यालयों में 3 हजार 200 से अधिक दिव्यांग छात्र-छात्राओं को शिक्षित किया जा रहा है। इसी दिशा में दिव्यांग छात्र-छात्राओं के लिए 2 छात्रावास भी जिले में स्थापित किए गए हैं।
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