बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. संत-महापुरुष
  4. Facts about shri rambhadracharya
Written By

2 माह की उम्र में नहीं रही आंखों की रोशनी, आज 22 भाषा आती है, 80 ग्रंथ रच दिए, ऐसे हैं श्री रामभद्राचार्य जी

2 माह की उम्र में नहीं रही आंखों की रोशनी, आज 22 भाषा आती है, 80 ग्रंथ रच दिए, ऐसे हैं श्री रामभद्राचार्य जी - Facts about shri rambhadracharya
रामभद्राचार्य जी का नाम बहुत ही आदर के साथ हिन्दू संत समाज में लिया जाता है। धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण, जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी वही हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में वेद पुराण के उद्धारण के साथ गवाही दी थी।
 
उनके बारे में यह बातें सोशल मीडिया पर इन दिनों वायरल हो रही है कि जब श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वे वादी के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उद्धरण देना शुरू किया जिसमें सरयू नदी के स्थान विशेष से दिशा और दूरी का बिल्कुल सटीक ब्यौरा देते हुए श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है।
कोर्ट के आदेश से जैमिनीय संहिता मंगाई गई...और उसमें जगद्गुरु जी द्वारा निर्दिष्ट संख्या को खोलकर देखा गया और समस्त विवरण सही पाए गए...जिस स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है...विवादित स्थल ठीक उसी स्थान पर है...और जगद्गुरु जी के वक्तव्य ने फैसले का रुख मोड़ दिया। जज ने भी स्वीकार किया- आज मैंने भारतीय प्रज्ञा का चमत्कार देखा...एक व्यक्ति जो भौतिक रूप से आंखों से रहित है, कैसे वेदों और शास्त्रों के विशाल वाङ्मय से उद्धरण दिए जा रहे थे? यह ईश्वरीय शक्ति नहीं तो और क्या है? सिर्फ दो माह की उम्र में जगद्गुरु रामभद्राचार्य की आंखों की रोशनी चली गई, आज उन्हें 22 भाषाएं आती हैं, 80 ग्रंथों की रचना कर चुके हैं। पद्मविभूषण रामभद्राचार्यजी एक ऐसे संन्यासी हैं जो अपनी दिव्यांगता को हराकर जगद्गुरु बने.... 
 
1.जगद्गुरु रामभद्राचार्य चित्रकूट में रहते हैं। उनका वास्तविक नाम गिरधर मिश्रा है, उनका जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था।
 
2.रामभद्राचार्य एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं। 
 
3.वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर साल 1988 से प्रतिष्ठित हैं। 
 
4.रामभद्राचार्य चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक हैं और आजीवन कुलाधिपति हैं। 
 
5.जगद्गुरु रामभद्राचार्य जब सिर्फ दो माह के थे तभी उनके आंखों की रोशनी चली गई थी। 
 
6. वे बहुभाषाविद् हैं और 22 भाषाएं जैसे  संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में कवि और रचनाकार हैं। 
 
7. उन्होंने 80 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में) हैं। उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है। 
 
8.वे न तो पढ़ सकते हैं और न लिख सकते हैं और न ही ब्रेल लिपि का प्रयोग करते हैं। वे केवल सुनकर सीखते हैं और बोलकर अपनी रचनाएं लिखवाते हैं।  
 
9. साल 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया था।
 
सौजन्य-सोशल मीडिया 
 
ये भी पढ़ें
मथुरा में श्रीकृष्‍ण जन्मभूमि पर स्थित मंदिर तोड़े जाने से लेकर ईदगाह बनाने तक की कहानी