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Last Modified: शुक्रवार, 16 जुलाई 2021 (11:24 IST)

साइकिल फैक्ट्री में मां ने बहाया खून-पसीना, अब बेटी ओलंपिक में बढ़ाएगी गौरव

साइकिल फैक्ट्री में मां ने बहाया खून-पसीना, अब बेटी ओलंपिक में बढ़ाएगी गौरव - here's the story of neha goyal, very inspiring
आपने कई सारे ऐसे खिलाड़ी देखे होंगे जिनके सपनों के पंखों को गरीबी ने कुतर दिया। वाकई में गरीबी जब इंसान की जिंदगी में आती है, तो हौसले अपने आप दम तोड़ने लगते हैं। इसमें कुछ हार मान लेते हैं, तो कुछ इनसे लड़कर अपनी किस्मत लिखने का साहस दिखाते हैं। ऐसी ही एक कहानी है भारतीय महिला हॉकी प्लेयर नेहा गोयल की।

नेहा गोयल टोक्यो ओलंपिक में देश का गौरव बढ़ाने के लिए तैयार हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर देश का नाम रौशन करने वाली हॉकी खिलाड़ी नेहा गोयल ने कठिन परिस्तिथियों के बाद भी कुछ अलग करने का जो सपना देखा उसे कड़ी मेहनत से साकार कर दिखाया। नेहा एक सामान्य परिवार से नहीं बल्कि एक गरीब परिवार से आती थी, लेकिन वह हौंसलों से धनवान थीं।

नेहा का पूरा बचपन गरीबी में बीता। एक बार उन्होंने अपने बयान में कहा था, ''मेरी तीन बहनें हैं और मैं परिवार में सबसे छोटी हूं। पिता शराब बहुत पीते थे जिसके चलते घर का माहौल अच्छा नहीं रहता था। पिता की तरफ़ से आर्थिक मदद भी ज़्यादा नहीं मिल पाती थी। इस बीच मेरी एक दोस्त ने बताया कि हॉकी खेलने से मुझे अच्छे जूते, कपड़े पहनने को मिलेंगे।''

सिर्फ अच्छे कपड़े और जूतों के लिए नेहा ने हॉकी खेलना शुरू किया। लेकिन वो कहते हैं ना आगे बढ़ने के लिए बस एक शुरुआत की जरुरत होती है और वो शुरुआत तो नेहा को मिली, जब एक बार जिला स्तर का मुकाबला जीता। इसके बाद तो फिर उन्होंने हॉकी में अपना जीवन बनाने का फैसला किया लेकिन पिता से सपोर्ट नहीं मिल सका। पिता से भले ही हॉकी खेलने के लिए नेहा का सपोर्ट न किया हो लेकिन उनकी मां ने उनका पूरा साथ दिया।

धीरे-धीरे नेहा ने इस खेल में अपनी पहचान बनानी शुरू की और नेशनल टीम में जगह बनाई। इस खेल के जरिए उनको 2015 में रेलवे में नौकरी भी मिल गई। नेहा और उनके परिवार की हालात धीरे-धीरे पटरी पर आई ही थी कि एक लंबी बीमारी के बाद उनके पिता का निधन हो गया। पिता की मौत के बाद घर की जिम्मेदारी पूरी तरह से नेहा के कंधों पर आ गई और बेटी का हाथ बटाने के लिए मां ने साइकिल फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया।

हॉकी प्रैक्टिस से टाइम निकालने के बाद वह फैक्ट्री में मां के काम मीम मदद भी करती थी। नेहा ने मुश्किल समय में हार नहीं मानी और हर एक परेशानी का डटकर सामना किया और अपने खेल के लिए पूरा समय निकाला। रेलवे में सीनियर नेशनल की प्रतियोगिताओं में नेहा भाग लेती रहीं और हर बार उनकी टीम ने स्वर्ण पदक भी जीता। साल 2018 के एशियाई खेलों में भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए फाइनल मुकाबले में नेहा ने गोल दागा था जिसने भारत को एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने में मदद की थी।

1 नवंबर 2019 को एफआईएच क्वालीफायर में अमेरिका की टीम को 6-5 से हराकर भारतीय टीम ने ओलंपिक के लिए क्वालीफिय किया था, जिसमें नेहा का प्रदर्शन काफी बेहतरीन रहा था। इतना ही नहीं स्ट्राइकर को ज्यादा गेंद विपक्षी गोल में डालने में नेहा का अटैक और डिफेंस दोनों ही काफी अच्छा है।
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