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Last Updated : शनिवार, 7 अगस्त 2021 (12:00 IST)

कौन है अदिति अशोक? जिसने इस अनजाने खेल में भारतीय फैंस को बांधे रखा

कौन है अदिति अशोक? जिसने इस अनजाने खेल में भारतीय फैंस को बांधे रखा - Aditi Ashok, Know about the Indian Golfer who missed Olympic Medal by a whisker
अदिति अशोक यह नाम आज सुबह से ट्विटर पर ही नहीं भारतीय फैंस की जुबान पर भी कायम था। अदिति अशोक ना ही महिला हॉकी खिलाड़ी है और ना ही बैडमिंटन खिलाड़ी। अदिति अशोक हैं भारतीय गोल्फर जो दूसरी बार ओलंपिक में अपनी किस्मत आजमा रही थी।
 
अपने प्रदर्शन से वह लगातार चौथे दिन मेडल की रेस में बनी रही। हालांकि शनिवार को वह मेडल काफी कम अंतर से चूक गई लेकिन 23 वर्षीय गोल्फर अदिति अशोक ने भारतीय फैंस को गोल्फ के बारे में जानने और समझने का मौका दे दिया। 
 
गोल्फ एक ऐसा खेल है जिसमें भारतीय खेल प्रेमियों की दिलचस्पी सबसे कम है। लेकिन दिन प्रतिदिन यह खबर मिल रही थी कि भारतीय गोल्फर अदिती अशोक लगातार दूसरे या तीसरे स्थान पर बनी हुई है और भारत के लिए मेडल जीत सकती है तो फैंस की इस खेल को जानने और समझने की उत्सुकता बढ़ी। 
 
आज जब टोक्यो ओलंपिक के अंतिम दिन वह खेल के आखिरी दौर में पहुंची तो बर्डी पुट, कार्ड और ऐसे तमाम तरह के तकनीकी शब्द जो इस गोल्फ के खेल से जुड़े है ट्विटर पर ट्रैंड होने लगे। गोल्फ को लेकर जो जानकारी जिसके पास थी वह सोशल मीडिया पर साझा कर रहा था। 
5 साल की उम्र में ही गोल्फ की ओर हो गई थी आकर्षित 
 
29 मार्च 1998 में बैंगलोर में जन्मीं अदिती और गोल्फ से जुड़ने का एक दिलचस्प वाक्या है। दरअसल वह अपने परिवार के साथ एक होटल में खाना खा रही थी। पास ही के गोल कोर्स में चीयर सुनी और वह इस खेल की ओर आकर्षित हो गई। जिस उम्र में बच्चे रिंगा रिंगा रोसेस खेलते हैं उस उम्र में ही अदिती ने गोल्फ स्टिक पकड़ ली थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि महज 5 साल की उम्र में ही अदिती ने गोल्फ खेलना शुरु कर दिया था। 
 
अदिती अशोक है देश की सबसे सफल महिला-गोल्फर
 
अदिती अशोक भारत की सबसे सफल महिला गोल्फर कही जा सकती हैं। वह यूरोपियन टूर जीतने वाली पहली महिला गोल्फर है। वह गोल्फ कोर्स में कई बार भारत के लिए झंडे गाड़ चुकी है। 
ऑस्ट्रेलिया में विक्टोरिया ओपन में पेशेवर पदार्पण करने वाली अदिति ने लेडीज यूरोपीय टूर में लगातार 4 टूर्नामेंटों में शीर्ष 10 में जगह बनाई। वे महिला इंडियन ओपन जीतकर यूरोपीय लेडीज टूर प्रतियोगिता जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उन्होंने इसके बाद कतर लेडीज ओपन के रूप में अपना लगातार दूसरा खिताब जीता। उन्होंने फ्लोरिडा में क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में संयुक्त 24वें स्थान के साथ एलपीजीए में खेलने के आंशिक अधिकार भी हासिल किए।
 
 
18 साल की उम्र में खेल लिया पहला ओलंपिक
 
18 साल की उम्र में ही अदिति अशोक ने अपना पहला ओलंपिक खेला था। रियो ओलंपिक में क्वालिफाय करने वाली वह सबसे युवा गोल्फर थी। हालांकि उस ओलंपिक में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। 
 
खेल के दो चरणों में अदिति अपने प्रदर्शन के आधार पर शीर्ष के 10 खिलाड़ियों में बनी रहीं लेकिन तीसरे और चौथे चरण में वे पीछे हो गईं और 291 के स्कोर के साथ 4।वें स्थान पर रहीं थी।
टोक्यो ओलंपिक में चौथे नंबर पर रही
 
अपने अनुभव से वह बहुत जल्दी सीखी और टोक्यो में बेहतरीन प्रदर्शन किया। पहले दौर को उन्होंने आसानी से पार कर लिया। दूसरे दौर के अंत में वह दूसरे स्थान पर थी। इसके बाद तीसरे दौर में तीन अंडर 67 स्कोर करके उन्होंने दूसरा स्थान बनाये रखा।
 
हालांकि आज अंतम दौर में अदिति का कुल स्कोर 15 अंडर 269 रहा और वह दो स्ट्रोक्स से चूक गई। आखिरी दौर में उन्होंने पांचवें, छठे, आठवें, 13वें और 14वें होल पर बर्डी लगाया और नौवें तथा 11वें होल पर बोगी किए। आज अगर अदिति मेडल जीत जाती तो यह भारतीय दल के लिए सबसे बड़ा सरप्राइज होता क्योंकि ओलंपिक की शुरुआत में उनसे किसी ने उम्मीद नहीं की थी। लेकिन इतनी कम उम्र में अपने दूसरे ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहना भी एक बड़ी बात है।
रियो में पिता तो इस ओलंपिक में मां बनी थी कैडी
 
गोल्फ का सामान खिलाड़ी के साथ ले जाने वाले सहायक को कैडी कहते हैं। रियो ओलंपिक में उनके पिता कैडी की भूमिका में थे वहीं टोक्यो ओलंपिक में यह भूमिका उनकी मां ने निभाई। अदिती को निराश होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है क्योंकि अगला ओलंपिक सिर्फ 3 साल दूर है उनके सपनों को पूरा करने के लिए।(वेबदुनिया डेस्क)
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