यज्ञ का महत्व और कुछ खास तथ्य
यज्ञ : संसार का सर्वश्रेष्ठ शुभ कार्य
ऋषियों द्वारा ईश्वरीय चिंतन में निरत जीवन पद्धति खोजी गई जिसमें यज्ञ से मानव मन में स्थापित वांछित लाभ पाया जा सकता है। इस विधि व्यवस्था को त्रिकाल संध्या के रूप में ऋषियों ने भी अपनाया और यज्ञ के अध्यात्म को अवतारी सत्ताओं ने भी स्वीकारा। गायत्री परिवार के संस्थापक पं. श्रीराम शर्मा 'आचार्य' ने तो अपना पूरा जीवन इसी यज्ञ हेतु समर्पित कर दिया। आइए जानते हैं यज्ञ की महत्ता से संबंधित कुछ खास तथ्य - यज्ञं जनयन्त सूरयः। -ऋग्वेद 10/66/2 हे विद्वानों! संसार में यज्ञ का प्रचार करो। अयं यज्ञो विश्वस्य भुवनस्य नाभिः। -अथर्ववेद 9.15.14यह यज्ञ ही समस्त विश्व-ब्रह्मांड का मूल केंद्र है।
तस्मात् सर्वगतं ब्रह्मा नित्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम्। -गीता 3.15यज्ञ में सर्वव्यापी सर्वांतर्यामी परमात्मा का सदैव वास होता है। यज्ञो वै देवानामात्मा। -शतपथ ब्राह्मण 9.3.2.7सब देवताओं की आत्मा यह यज्ञ है।