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ऋषियों के बनाए गए मार्ग पर चलने का दिन ही ऋषि पंचमी

ऋषियों के बनाए गए मार्ग पर चलने का दिन ही ऋषि पंचमी। Rishi Panchami - Rishi Panchami
ऋषियों के सिद्धांत को हम जितना अपने जीवन में उतारेंगे, ऋषि पूजन उतना ही सार्थक होगा। मन में छुपे हुए परमात्म खजाने को पाने के लिए ऋषियों का चिंतन-स्मरण करके जीवन में ऋषियों के प्रसाद को भरने का दिन है। ऋषि पंचमी मन में कर्ताभाव नहीं रखते हुए सुख-दु:ख में सम रहते हुए मान-अपमान में सम रहते हुए यह संकल्प करने का दिन है कि हम ऋषियों की तरह कर्मफल को ईश्वर को अर्पण करते रहेंगे।
 
ऋषियों के सिद्धांत को जितना अपने जीवन में उतारेंगे, ऋषि पूजन उतना ही सार्थक होगा। सुख-दु:ख, मान-अपमान, पुण्य-पाप कर्ताभाव से होते हैं और कर्ताभाव देह को 'मैं' मानने से होता है। स्थूल तथा सूक्ष्म शरीर को 'मैं' और 'मेरा' मानकर किया गया कर्म कर्ता मन से बंधा हुआ कर्म होता है। मैं देह नहीं आत्मा हूं, ऐसा जानना और अपने आत्मभाव को जागृत करना यह ऋषियों को आदर और पूजन करने के बराबर है।
 
ऋषियों का स्मरण पातक का नाश करने वाला, पुण्य सृजन करने वाला, हिम्मत देने वाला होता है। ज्ञान प्राप्त करने के लिए जिन महापुरुषों ने एकांत अरण्य में निवास करके अपने प्रियतम परमात्मा में शांति पाई, ऐसे ऋषियों को हमारा प्रणाम है। मानव के प्रत्येक दु:ख, विघ्न, बाधा व समस्या का समाधान ऋषियों की ज्ञान दृष्टि में भरा हुआ है। ऋषि मनुष्य की उलझनों को भी जानने हैं और उसकी महानता को भी जानते हैं।
 
छोटी-छोटी बातों में अपना चित्त खिन्न न हो जाए, इसका ध्यान रखें। हृदय की शांति के लिए बाहर के तुच्छ भोग-विलास की नाली में न गिरे बल्कि आत्मशांति के लिए ऋषियों के बनाए गए मार्ग पर चलने का दिन ही ऋषि पंचमी है। एक क्षण की चित्त की विश्रांति संपति से ज्यादा मूल्यवान है। चित्त की शांति तुम्हारा धन है।
 
बाहरी धन के ढेर से वास्तव में तुम्हारे मन की विश्रांति आएगी। तुच्छ वस्तुओं का इतना ज्यादा मूल्य न आंको कि परमात्म विश्रांति बिखर जाए। धन कमाना, धन का उपयोग करना और धन को जब छोड़ना पड़े, तब छोड़ने की भी पूरी तैयारी होनी चाहिए। मृत्यु जबरदस्ती छुड़ाए, उसके पहले ऐच्छिक वस्तुओं की ममता छोड़कर अमर आत्मा के सुख का आस्वादन करते रहना- यह ऋषि पंचमी के प्रसाद को पचाने के बराबर है।
 
ऋषि पंचमी के दिन सप्तर्षियों कश्यप, अति, भरद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जन्मदग्नि व वशिष्ठ का आवाहन कर विधिपूर्वक उनका पुजन-अर्चन करें। सप्तर्षियों को प्रणाम करके प्रार्थना करें कि हमसे काया से, वाचना से व मान से जो भी भूलें हो गई हैं, उन्हें क्षमा करना।
 
इस दिन हल से जुते हुए खेत का अन्न, अब तो ट्रैक्टर है, मिर्च-मसाले, नमक, घी, तेल, गुड़ वगैरह का सेवन त्याज्य है। दिन में केवल एक बार भोजन करें। इस दिन लाल वस्त्र का दान करें। जिन ऋषियों ने हमारे जीवन से पाशविक विचारों को हरकर हमें परमेश्वर स्वभाव में जमाने के लिए प्रयास किया, जिन ऋषियों ने हमारे विकास के लिए सहयोग देकर समाज का उत्थान करने की चेष्टा की, उन ऋषियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का जो दिन है, वही 'ऋषि पंचमी' है।

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