मैं वृक्ष हूं
हेमंत गुप्ता 'पंकज'
तुमभटक रहे होखाना-बदोशनीले आकाश के तलेमैं तुम्हारे लिएबनाऊंगाएक सुरक्षित घरस्थायी... तुम प्यासे होमैं तुम्हारी प्यास बुझाऊंगातुम भूखे होमैं तुम्हारी भूख मिटाऊंगातुम दहक रहे होदुनियावी दुखों मेंमैं तुम्हें शीतलता दूंगाअपने आँचल की.. तुम ठिठुर रहे होमैं तुम्हें गरमाऊंगाखुद खाक होकर भीतुम्हें जिन्दगी दूंगा तुम्हारी हर इच्छा कोतृप्त करूंगातुम थके हुए होजीवन एक अवकाशरहित क्षणमैं तुम्हेंथपकियां दे-देकर झुलाऊंगालोरिया, गा-गाकर सुनाऊंगादूंगा एक निश्चिंत नींदभरपूरजागरणताजगी भरा... तुम केवल इतना करोमेरी परवरिशसुनिश्चित कर दो... मेरा अस्तित्वसुरक्षित कर दोतुममानव होमैंवृक्ष हूंतुम्हाराकल्पवृक्ष।