गुरुवार, 18 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
Written By स्मृति आदित्य

गुलाबी मन पर

फाल्गुनी

गुलाबी मन पर -
ND
मेरे नादान गुलाबी मन पर
तुम्हारे सच का धूसर रंग
इस कदर बिखर गया है कि
हमारा रिश्ता मटमैला हो गया

और आँखों के दहकते पलाश से
झूठे प्यार का
कच्चा रंग झर गया।