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Written By WD

रहीम और उनके लोकप्रिय प्रासंगिक दोहे

रहीम और उनके लोकप्रिय प्रासंगिक दोहे - rahim ke dohe in hindi
अकबर के नवरत्नों में से एक रहीम का जन्म 17 दिसंबर 1556 में हुआ था। रहीम का पूरा नाम अर्ब्दुरहीम खानखाना था और उनके पिता बैरम खां थे जो अकबर के अभि‍भावक के रूप में जाने जाते थे। ऐसा कहा जाता है के रहीम के जन्म के समय उनकी पिता की आयु 60 वर्ष थी। रहीम को अकबर के प्रसिद्ध नवरत्नों में शामिल किया जाता है। जानिए उनके कुछ प्रसिद्ध दोहे - 
 
खैर, खून, खांसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।
रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान।।
 
जो रहीम ओछो बढ़ै, तौ अति ही इतराय।
प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय।।
 
आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि।
ये तीनों तब ही गए, जबहि कहा कछु देहि।।
चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछु नहि चाहिए, वे साहन के साह।।
 
जे गरीब पर हित करैं, हे रहीम बड़ लोग।
कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग।।
 
एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहि सींचबो, फूलहि फलहि अघाय।।
 
रहिमन चुप हो बैठिए, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर।।
 
बानी ऐसी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय।।
 
मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय।
फट जाए तो ना मिले, कोटिन करो उपाय।।
 
रहिमन ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत।
काटे चाटे स्वान के, दोउ भांति विपरीत।।
 
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ परि जाय।।
 
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चून।।