गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By WD

कविता : आजादी पर गर्व हमें है

कविता : आजादी पर गर्व हमें है - Poem
शालिनी तिवारी 
आजादी पर गर्व हमें है और सदा तक बना रहेगा
जिन लोगों ने कुर्बानी दी उनका नाम अमर रहेगा
 
पर अंतिम जन को आजादी कब तक मिल पाएगी 
दुपहरिया में मजदूरों की मेहनत कब रंग लाएगी
 
उनकी सोच बदल जाए तो सच्ची आजादी होगी
भुखमरी पर पाबंदी ही सच्ची खुशहाली होगी




















झुग्गी झोपड़ियों में रहकर आंधी पानी सहते हैं
उनसे भी कुछ पूछो जिन पर जुर्म अभी भी ढहते हैं
 
कुछ लोग अभी भी अपना जिस्म बेचते फिरते हैं
आजादी को अब भी वो "आधी आजादी" कहते हैं
 
आस्तीन के सांप अभी भी हिंद वतन में पलते हैं
भारत माता को लेकर ये खूब सियासत करते हैं
 
कुछ लोगों को भारत का गौरव गान नहीं भाता
आतंकियों का महिमा मंडन बस इनको खूब सुहाता
 
अब तो मेरा दिल करता है कि झूमूं नाचू गाऊं मैं,
देश के अंति‍म जन को सच्ची आजादी दिलवाऊं मैं,
 
मेरे जीने का यह मकसद सच्ची आजादी दिलवाएगा,
गरीबी, भुखमरी और मन से सबको आजाद कराएगा