शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. mother blessings poem

मार्मिक कविता : व्हाट्सएप चलाती हुई मां

मार्मिक कविता : व्हाट्सएप चलाती हुई मां - mother blessings poem
-राकेश धर द्विवेदी
 
मैंने अचानक अपने 
व्हाट्सएप पर देखा 
तो वह अनेक हिदायतें 
और आशीर्वादों से भरा था 
जैसे तुम्हारा डायबिटीज बढ़ा हुआ है
मीठी चीज बिल्कुल न खाओ 
ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करो 
नियमित योगाभ्यास करो 
बच्चों को बहुत सा प्यार 
बहू को ढेर सा दुलार 
वगैरह, वगैरह
मैने आंखों को फाड़ कर देखा 
व्हाट्सएप के एप से बाहर 
निकल कर जीवन के 
पचहत्तर बसंत पूरे कर चुकी 
मेरी मां अपने कांपते हाथों से प्रार्थनाओं की 
बरसात कर रही थी
और दे रही थी हिदायत
उसी तरह जैसे जब मैं स्कूल जाने वाला विद्यार्थी था
आज फिर दिवाली का त्योहार आ गया 
और वो दे रही दुआएं सपरिवार 
मेरे सकुशल रहने की ईश्वर से 
और कर रही निवेदन कि पिछली चार दिवाली से 
तुम घर नहीं आ पाए हो 
इस बार घर आ जाओ 
और फिर दिवाली आकर 
चली जाती है और मां दीया जलाती हुई 
तस्वीर डाल देती है व्हाट्सएप पर और 
लिख देती है तमाम प्यार दुलार और आशीर्वाद 
मुझे लगता है कि 
मां भी तो दीये की बाती की तरह है 
जो मेरे जीवन के तमाम अंधकार को 
मिटाती है खुद जलकर अंधकार में रहकर।