गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. hindi poem on third gender

कविता: हाय ! खोखली तालियां...

कविता: हाय !  खोखली तालियां... - hindi poem on third gender
अलसवेरे ढोलक की थाप, नौबत बधाइयां
सुरों की सप्तक संग, संगीत में रुबाइयां
किन्नरों की किस्मत में, कैसी ये रुसवाइयां
नित-नित स्वांग रचाते, हाय बजाते तालियां
हाय खोखली तालियां, हाय खोखली तालियां।
 
बिन ब्याहे कुमकुम टीका, सोलह श्रृंगारियां 
तन अधूरा, मन अधूरा, ना बजती शहनाइयां
दामन में आशीर्वाद की, भरते गोद भराइयां
ललना जनम लिए तो, वारी-वारी बलहारियां
हाय खोखली तालियां, हाय खोखली तालियां।
 
ना कोई अपना संगी-साथी, ना रिश्तेदारियां
छोटी-सी खोली में, तन्हा जीवन की तन्हाइयां
कदम-कदम पे ठोकरें, औ समाज की गालियां
खुद का वजूद ढूंढते, उफ कैसी लाचारियां
हाय खोखली तालियां, हाय खोखली तालियां।
 
छीनी खुशी, छीने सपने, क्या थीं गुस्ताखियां
हो दरवेष, स्वांगी भेष, किससे कैसी यारियां
कुदरत के अभिशाप पे, हाय प्रभु से दुहाइयां
किन्नर जनम कभी ना दीजे, ना दीजे तालियां 
हाय खोखली तालियां, हाय खोखली तालियां।