मेरा मन चाहता है बस, तुम्हारा होना और एक तुम हो कि बस, मन से ही मेरे नहीं हुए। यही तो अंतर है तुममें और मुझमें, तुम मन रखते ही नहीं हो और मैं मन के सिवा कुछ रखती ही नहीं हूँ।