गुरुवार, 28 मार्च 2024
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Written By स्मृति आदित्य

शरद चाँदनी की छाँव तले

Poem | शरद चाँदनी की छाँव तले
ND
शहदीया रातों में
दूध धुली चाँदनी
फैलती है

तब
अक्सर पुकारता है
मेरा मन

कि आओ,
पास बैठों
चाँद पर कुछ बात करें।

शरद चाँदनी की छाँव तले
आओ कुछ देर साथ चलें।