बुधवार, 24 अप्रैल 2024
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Written By स्मृति आदित्य

चाँद बेवफा नहीं होता

- फाल्गुनी

Poem | चाँद बेवफा नहीं होता
ND
चाँद नहीं कहता
तब भी मैं याद करती तुम्हें
चाँद नहीं सोता
तब भी मैं जागती तुम्हारे लिए
चाँद नही बरसाता अमृत
तब भी मुझे तो पीना था विष
चाँद नहीं रोकता मुझे
सपनों की आकाशगंगा में विचरने से
फिर भी मैं फिरती पागलों की तरह
तुम्हारे ख्वाबों की रूपहली राह पर।

चाँद ने कभी नहीं कहा
मुझे कुछ भी करने से
मगर फिर भी
रहा हमेशा साथ
मेरे पास
बनकर विश्वास।
यह जानते हुए भी कि
मैं उसके सहारे
और उसके साथ भी
उसके पास भी
और उसमें खोकर भी
याद करती हूँ तुम्हें।
मैं और चाँद दोनों जानते हैं कि
चाँद बेवफा नहीं होता।