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Last Updated : शुक्रवार, 8 मई 2020 (18:32 IST)

साहित्य : कथाकार शशिभूषण द्विवेदी का असमय निधन

साहित्य : कथाकार शशिभूषण द्विवेदी का असमय निधन - Sashi Bhushan Dwivedi
कथाकार शशिभूषण द्विवेदी का असमय न‍िधन हो गया। वे सिर्फ 45 वर्ष के थे। उनके न‍िधन से साह‍ित्‍य जगत में शोक छा गया है।

शशि‍ भूषण ने 'एक बूढ़े की मौत', 'कहीं कुछ नहीं', 'खेल', 'खिड़की', 'छुट्टी का दिन' और 'ब्रह्महत्या' जैसी कहानियों से हिंदी कथा साहित्य को समृद्ध क‍िया और अपनी जगह बनाई थी। वे लगातार लेखन में सक्र‍िय थे।

मीड‍िया में आई र‍ि‍पोर्ट के मुताबिक उनका न‍िधन गुरुवार शाम करीब 6 बजे हृदय गति रुक जाने के कारण हुआ। फि‍लहाल वे पूरी तरह से स्वस्थ थे और सक्रिय भी थे। हालांकि कहा जाता है क‍ि इसे पहले वे लंबे समय तक बीमार रहे थे।

दो साल पहले ही उनका कथा संग्रह 'कहीं कुछ नहीं' राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ था।

26 जुलाई 1975 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में जन्मे शशिभूषण द्विवेदी की कहानी की कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। लेखन में उनके योगदान के लिए उन्हें 'ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार', 'सहारा समय कथा चयन पुरस्कार', और 'कथाक्रम कहानी पुरस्कार' से नवाजा जा चुका है।

फेसबुक पर कई लोगों ने उन्‍हें श्रध्‍दाज‍ंल‍ि देकर दुख जताया है। साह‍ित्‍य जगत के लोगों का कहना है क‍ि ऐसे अमसय में ऐसे सक्रि‍य और अच्‍छे लेखक का चला जाना दुखद है।