शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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Written By WD

खुशी हो या गम 'एक' से भले 'दो'

खुशी हो या गम 'एक' से भले 'दो' - खुशी हो या गम 'एक' से भले 'दो'
विनोद  
 
भाई... बात चाहे गॉसिप करने की हो या फिर गोलगप्पे खाने की ... अगर एक दोस्त साथ हो तो मजा भी दुगुना हो जाता है। इस पर यदि मुद्दा कोई अच्छा लेकिन मुश्किल काम करने का हो तो यह साथ और भी फायदेमंद हो जाता है। विज्ञान भी इस बात के पक्ष में है।


 
असल में जब आप वजन कम करने, शराब या सिगरेट छोड़ने, दिनचर्या को सुधारने या ऐसा ही कोई टास्क करने के बारे में सोचते हैं जो आपके लिए थोड़ा कठिन होता है तो आपका साथी आपके लिए राह आसान करने वाला मददगार साबित हो सकता है। और अगर आपका साथी भी आपके साथ उसी राह पर चल रहा है तो यह सोने पर सुहागा साबित हो सकता है। यानी जब वजन नियंत्रित करने के दौरान आपका मन किसी बर्गर या आइस्क्रीम को देखकर ललचाने लगे तो आपका साथी तुरंत आपको उस कठिन परिस्थिति से बाहर निकाल लाए। 
 
यही नहीं जॉगिंग के लिए आपको सुबह-सुबह बिस्तर से उठाने से लेकर एक किलो वजन कम होने पर भी आपको दिनभर बधाई देने और पूरे समय आपका उत्साहवर्धन करने तक आपका साथी आपकी मदद करेगा। यह साथी किसी दोस्त से लेकर आपके भाई-बहन, माता-पिता, चिकित्सक और यहां तक कि ई-मेल तथा फॅन कॉल्स से जुड़े दोस्तों तक किसी भी रूप में साथ रह सकता है।

पिछले दिनों हुए एक शोध ने इस बात की पुष्टि की है कि वजन कम करना हो या फिर सिगरेट छोड़ना हो... यदि आप किसी दोस्त को भी अपने इस टास्क में शामिल करते हैं तो सफलता ज्यादा आसानी से आपकी हो जाती है। यानी अकेले से भले दुकेले।