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Last Modified: शुक्रवार, 12 सितम्बर 2014 (16:28 IST)

बस, इन 4 नियमों का पालन करें, सेहतमंद रहें

बस, इन 4 नियमों का पालन करें, सेहतमंद रहें - बस, इन 4 नियमों का पालन करें, सेहतमंद रहें
संजीव नाईक  
 
सही निदान, समय पर शुरू किया गया इलाज और प्रभावी दवा किसी भी बीमारी से उबरने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन मानव शरीर मशीन नहीं होता और बीमारी के ठीक होने की प्रक्रिया हर किसी में अलग-अलग तरह से होती है। आपकी शारीरिक अवस्था, रोग प्रतिरोधक क्षमता और इच्छाशक्ति भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। पेश है सेहतमंद जीवन के चार अहम आधार : 
 
आहार से बने शरीर  
 
स्वास्थ्यवर्धक आहार बीमारियों से बचाव का कारगर उपाय है। कैंसर के एक तिहाई मामलों में कहीं न कहीं पोषण की कमी ज़िम्मेदार होता है। रोगाणुओं का आक्रमण होने पर शरीर इससे किस तरह उबरता है, यह आपके आहार पर काफी निर्भर होता है। शरीर को सभी पोषक तत्व मिलने से रोग प्रतिरोधक प्रणाली बेहतर ढंग से कार्य करेगी। 
 
अच्छे खानपान से स्फूर्ति बनी रहती है। पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों मिलते रहें तो कोशिकाओं का पुनर्जीवन और ऊतकों की मरम्मत आसानी से होती है। दूसरी ओर शरीर में इनकी कमी हो तो यह काम मुश्किल हो जाता है और बीमारी से उबरने के लिए शरीर को मशक्कत करनी पड़ती है या वो यह काम ठीक से कर ही नहीं पाता। नतीजा बीमारी के रूप में सामने आता है।
 

 
 
कसरत बनाए ताकतवर  
 
अधिकतर बीमारियों से उबरने के लिए आराम जरूरी होता है। लेकिन आराम करके कुछ ठीक होने के बाद शारीरिक गतिविधि फिर से शुरू करना भी उतना ही जरूरी है। इससे मांसपेशियां तो मजबूत होंगी ही, मनोबल भी बढ़ेगा। 
 
व्यायाम करने के लिए ज़रूरी नहीं कि जिम या हेल्थ क्लब जॉइन किया जाए, पैदल चलना या घर के काम करना भी उतना ही फायदेमंद होता है। हर हफ्ते कम से कम पांच दिन तीस मिनटों के लिए कोई ऐसा काम या गतिविधि करें जिससे आपको थोड़ी थकान महसूस हो। 
 

 
सुखद-सुहानी नींद 
 
आपने कभी ध्यान दिया होगा कि जब थके होने पर आप संक्रमण के कब्जे में जल्दी आते हैं। अमेरिका स्थित कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय के एक शोध से पता चला कि व्यक्ति जितनी कम नींद लेगा, सर्दी-ज़ुकाम की चपेट में उतना ही आसानी से आ जाएगा। ऐसा इसलिए हो सकता है कि नींद की कमी से रोग प्रतिरोधक प्रणाली प्रभावित होती है और इसकी संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।
 
हमारे शरीर को चलायमान और स्वस्थ रखने के लिए निरंतर कई तंत्र काम करते रहते हैं। इन प्रक्रियाओं के दौरान छोटी-मोटी टूट-फूट भी होती हैं। इस तरह की मरम्मत का काम शरीर तब करता है तब हम आराम करते हैं। जब हम सो रहे होते हैं तो अन्य प्रणालियों का काम धीमा हो जाता है इसलिए शरीर इससे बची ऊर्जा को मरम्मत के लिए इस्तेमाल करता है। 
 
यह तो स्वस्थ शरीर की बात हुई। बीमारी या चोट के कारण शरीर में हुई क्षतिपूर्ति के लिए अधिक आराम की आवश्यकता होती है।बढ़िया नींद मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। नींद पूरी न होने पर आप शारीरिक और मानसिक तौर पर उतना अच्छा महसूस नहीं करते हैं। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि जिन लोगों की नींद पूरी नहीं हो पाती उन्हें दर्द का एहसास अधिक होता है और उन्हें बीमारी से उबरने के लिए समय भी अधिक लगता है।
 
सकारात्मक सोच  
 
किसी भी बीमारी से उबरने में सकारात्मक सोच का बड़ा महत्व है। सकारात्मक सोच का बड़ा फायदा तब मिलता है जब दृढ़ इच्छाशक्ति से जीवनशैली में कोई बड़ा परिवर्तन घटित होता है। इस सब के अलावा आप इस परिवर्तन से क्या और कितनी उम्मीदें लगा रहे हैं उससे बहुत फर्क पड़ेगा। उदाहरण के तौर पर यदि आप उच्च रक्तचाप से छुटकारा पाने के लिए जीवनशैली में परिवर्तन कर रहे हैं, और खानपान पर सख्त नियंत्रण साध रहे हैं तब तो आप यह उम्मीद भी करें क्योंकि इससे आपका वजन भी कम होगा। मोटापे से मुक्ति मिलने के साथ ही आप कई रोगों के जोखिम से भी दूर हो जाएंगे। 
 
शोधों से पता चला है कि जीवन के प्रति सकारात्मक सोच से स्वास्थ्य पर अच्छा असर पड़ता है। न्यूयॉर्क में हुए इस शोध अध्ययन के मुताबिक जो लोग खुशहाल जिंदगी जीते हैं उन्हें दिल के दौरे का जोखिम भी कम रहता है। यद्यपि इसकी पुख्ता वजह नहीं मालूम हो सकी है लेकिन संभवतः खुश रहने वाले लोग जीवन के तनाव को दूसरों की अपेक्षा ज्यादा अच्छे से झेल पाते हैं। 
 
इसी कारण अतिरिक्त तनाव का बुरा असर शरीर पर नहीं हो पाता। इसके विपरीत जो लोग जीवन से निराश रहते हैं और आपने बुरे हाल के लिए बाहरी दुनिया को लगातार कोसते रहते हैं उनकी सेहत भी खराब रहती है।