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Covid-19 में बढ़ रहे फाइब्रोमायल्जिया के केस, वंशानुगत भी हो सकती है ये बीमारी

Covid-19  में बढ़ रहे फाइब्रोमायल्जिया के केस, वंशानुगत भी हो सकती है ये बीमारी - fibromyalgia diseases and its symptoms and treatment
कोविड-19 से ठीक होने के बाद फाइब्रोमायल्जिया नामक बीमारी लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। डॉक्‍टर के मुताबिक कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद फाइब्रोमायल्जिया नामक बीमारी बढ़ रही है। यह इस प्रकार की बीमारी है जिसे एक बार में समझ पाना मुश्किल होता है। फाइब्रोमायल्जिया के कुछ लक्षण है जो गठिया बादी और डिप्रेशन से मिलते हैं आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में क्‍या है इसके लक्षण और उपचार।
 
गौरतलब है कि अमेरिका में इस बीमारी से 18 वर्ष से अधिक आयु के करीब 50 लाख लोग पीड़ित हैं। नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ आर्थराइटिस एंड मस्‍कुलोस्‍केलेटल एंड स्किन डिजीज के अनुसार यह एक अनुमानित आंकड़ा है। इस बीमारी से पुरूष के मुकाबले महिलाएं अधिक शिकार हो रही है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में विस्‍तार से - 
 
फाइब्रोमायल्जिया क्‍या है और इसके लक्षण ? 
 
विशेषज्ञों के अनुसार यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। इसमें बीमारी में इंसान शारीरिक समस्‍याओं के साथ ही मानसिक रूप से शिकार हो जाता है। इसके लक्षणों को समझने में कई बार वक्‍त भी लग जाता है। अगर आपको भी बार-बार निम्‍न प्रकार के लक्षण नजर आते हैं तो सावधान हो जाए- 
 
- जबड़ों में दर्द होना। 
- शरीर के किसी भी हिस्‍से में गंभीर समस्या बने रहना। 
- सुबह उठने के बाद मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना। 
- सिरदर्द रहना। 
- चिड़चिड़ापन होना। 
- हाथ पैरों में झुनझुनी होना। 
- तनाव होना। 
- नींद नहीं आना। 
- महिलाओं को मासिक धर्म में समस्‍या होना। 
 
क्‍यों होती है फाइब्रोमायल्जिया बीमारी? 
 
दरअसल, इस बीमारी का पूरा खेल दिमाग से है। अगर आपका दिमाग स्थिर होता है तो सब अच्‍छा है, लेकिन मन या दिमाग शांत नहीं है तो जरूर समस्‍या हो सकती है। यह बीमारी कोविड-19 के बाद जरूर हो रही है लेकिन इससे पहले भी हो सकती है। जी हां,  यह वंशानुगत भी हो सकती है। इसके कुछ प्रमुख कारण है जो इस बीमारी को समझने में मदद करेंगे जैसे - 
 
- किसी दुर्घटना का आपकी मानसिक और भावनात्‍मक दोनों रूप से प्रभाव पड़ना। 
-CNS की समस्‍याएं। 
- ऑटोइम्‍यून रोग की चपेट में आना। 
 
फाइब्रोमायल्जिया बीमारी से बचाव के उपचार -  
 
सही वक्‍त पर थैरेपी और मेडिसिन मिलने पर इस बीमारी से बाहार भी निकला जा सकता है। और एक नॉर्मल जीवन जी सकते हैं। हर रोगी के लक्षण अलग-अलग होते हैं। रोगियों को मदद के लिए एक्‍यूपंक्‍चर, मनोचिकित्सक, योग, मेडिटेशन थेरेपी या फिजियोथेरेपी भी दी जा सकती है। 
 
आहार का रखें विशेष ध्‍यान - 
 
- फाइबर युक्‍त भोजन करें। 
- चीनी का सेवन बहुत अधिक नहीं हो। 
- ग्‍लूटेन फ्री आहार करें। 
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