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देश के चौथे राष्ट्रपति वी वी गिरि की जयंती :10 बातें आपको पता होना चाहिए

देश के चौथे राष्ट्रपति वी वी गिरि की जयंती :10 बातें आपको पता होना चाहिए - 4th president of indiaw vv giri 126th birth anniversary here are 10 facts
भारत के चौथे राष्‍ट्रपति वी.वी.गिरि की आज 126वीं जन्‍म जयंती है। राजनीति में बड़े पद पर पहुंचना और देश के गरिमामय पद पर पहुंचना बहुत बड़ी बात होती है। लेकिन जब वी.वी गिरि राष्‍ट्रपति बने थे तब उन्‍होंने इतिहास रच दिया था। क्‍योंकि वह एकमात्र ऐसे राष्‍ट्रपति रहे हैं जो निर्दलीय उम्‍मीदवार के रूप में इस पद के लिए चयनित हुए थे। वी.वी गिरि ने अपने कार्यकाल के दौरान मजदूरों के उत्‍थान के लिए अनेक कार्य किए। उनकी जन्‍म जयंती पर जानते हैं कुछ खास 10 बातें  - 
 
- वी.वी. गिरी का जन्‍म 10 अगस्‍त 1894 को ओडिशा के बेरहमपुर गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम वराहगिरि वेंकट गिरि है। उनके पिता का नाम वी.वी. जोगय्या  पंतुलु थे। वह भारत के एक सफल वकील थे और भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के राजनीति में सक्रिय कार्यकर्ता भी थे। इतना ही नहीं वी.वी.गिरि की माता भी सामाजिक और राजनीति कार्यों में काफी सक्रिय थीं। उन्‍होंने असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था। बता दें कि वी.वी. गिरि के 14 बच्‍चे थे।   
 
- वी.वी गिरि की प्रारंभिक शिक्षा खल्लीकोट कॉलेज और उत्‍कल विश्वविद्यालय में हुई थी। वकालत की पढ़ाई के लिए वह आयरलैंड चले गए थे। पढ़ाई के दौरान वह एक आंदोलन से जुड़े। जिस वजह से उन्‍हें आयरलैंड छोड़ना पड़ा। हालांकि इसके बाद उन्‍होंने मद्रास आकर अपनी वकालत की प्रैक्टिस जारी रखी। 
 
- समाज के सहयोग और उत्‍थान के लिए कार्य करने वाले वी.वी गिरि 1920 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए। इस दौरान उन्‍हें कैद कर लिया गया था। 
 
- 1923 में वी.वी गिरि मजदूर संगठनों से जुड़ गए। इसके बाद वह ऑल इंडिया रेल कर्मचारी फेडरेशन के अध्‍यक्ष भी बनें। 1928 में उनके नेत़त्‍व में बंगाल-नागपुर रेलवे संगठन की स्‍थापना की गई। गिरि के नेत़त्‍व में की गई अहिंसात्‍मक हड़ताल का सरकार पर गहरा असर पड़ा। मांगों को मानते हुए सभी कर्मचारियों को पुनः भर्ती किया गया। 
 
- 1927 में गिरि ने अंतरराष्ट्रीय मजदूर कांफ्रेंस में भारतीय मजदूरों की ओर से शामिल हुए। 
 
- 1952 में कांग्रेस सरकार में वी.वी.गिरि पहली बार श्रम मंत्री बने। यह मौका इसलिए उन्‍हें मिला क्‍योंकि आजादी के दौरान मजदूरों का नेतृत्व बखूबी तरीके से किया था। 
 
- वी.वी. गिरि ने श्रम मंत्री के पद से इस्‍तीफा दे दिया था। क्‍योंकि कांग्रेस सरकार ने बैंक कर्मचारियों की वेतन की मांग को ठुकरा दिया था।  
 
-1957 में वी.वी. के राजनीतिक सफर पर विराम लग गया था। वह आंध्र प्रदेश के पार्वतीपुरम लोकसभा सीट से हार गए थे। 
 
- राष्‍ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के बाद राष्‍ट्रपति का पद रिक्‍त होने पर वह कार्यवाहक राष्‍ट्रपति बनाए गए थे। साल 1969 में वह देश के चौथे राष्‍ट्रपति बने थे।
 
- वी.वी. गिरि के योगदान और किए गए श्रेष्‍ठ कार्यों के लिए उन्‍हें 1975 में भारत के सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान 'भारत रत्‍न' से सम्‍मानित किया गया। जैसा कि वी.वी. गिरि द्वारा श्रम से विषयों पर अलग - अलग तरह से काम किया गया। बाद में एक संस्‍था की स्‍थापना की थी। 1995 में जिसका नाम वी.वी. गिरि नेशनल लेबर इंस्‍टीट्यूट रखा गया।  23 जून 1980 को 85 वर्ष की उम्र में चैन्‍नई में उनका निधन हो गया।