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Written By WD

रुकती कैसे, हमारे सबके कपड़े फाड़ दिए थे...

सीनियर सिटीजंस के नाम पर नगमा की जाटों से गुपचुप बात

रुकती कैसे, हमारे सबके कपड़े फाड़ दिए थे... -
मेरठ से दीपक असीम
चुनाव दफ्तर से मालूम पड़ा कि नग़मा साढ़े तीन बजे सर्किट हाउस पर चौधरी भूपालसिंह के घर सीनियर सिटीज़न से मीटिंग करेंगी। मीडिया के लोग जब वहां पहुंचे तो पता चला कि मीडिया को मीटिंग में नहीं आने दिया जाएगा। बाद में भले ही दस मिनिट बात-चीत करा दी जाएगी। फिर भी अपनेराम जैसे-तैसे दो मिनट के लिए उस मीटिंग वाले कमरे में घुसने में कामयाब हो गए (उधर कोई पहचानता जो नहीं है)।
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मालूम यह पड़ा कि सीनियर सिटीज़न के नाम पर यह मीटिंग जाटों को गोलबंद करने की है और भूपालसिंह और कुछ नहीं जाट हैं। जाट वोट मेरठ में एक लाख हैं। कुछ देर की मीटिंग में यह देखा कि एक साहब शिकायत कर रहे हैं - ''उस दिन मैंने हाथ हिलाया, आपको कितना रोका, आप रुकी ही नहीं।''

''रुकती कैसे, हमारे सब सबके कपड़े फाड़ दिये थे लोगों ने, फिर आपके पास भी बहुत भीड़ थी, न जाने क्या होता।'' नग़मा ने जो जवाब दिया, उसे सुनकर पास बैठी महिलाएं झेंपी, कुछ मर्दों ने नज़र नीची कर ली, कुछ मुंह घुमा कर मुस्करा दिए। अगली मीटिंग की बात चली तो नग़मा ने कहा कि मंच के पीछे से मंच पर जाने का रास्ता होना चाहिए। भीड़ के बीच से होकर मैं मंच पर नहीं जाऊंगी।

और जली कोठी वाली बात पर क्या बोलीं नगमा... पढ़ें अगले पेज पर...


समझ में यह आया कि मेरठ में नग़मा के साथ दो-तीन बार हरकत हो चुकी है। सबसे भीषण वारदात हुई थी मुस्लिम इलाके जलीकोठी में। तमाम महिलाओं का बुरा हाल कर दिया गया था। पहल करने वाला एक बंदा अभी भी जेल में है। ग़लती नाचीज़ से ये हुई कि कैमरा निकाल लिया नतीजतन खुद कमरे से निकलना पड़ा।

कोई घंटे भर मीटिंग चली और मीडिया बाहर बैठकर कोक पीता रहा, पकौड़े खाता रहा और पानी मांगता रहा। घंटे भर बाद नग़मा निकलीं। एक पत्रकार ने जलीकोठी वाली जली-कटी बात पूछी तो नग़मा साफ मुकर गईं कि हां कोशिश तो जरूर की थी, कुछ लोगों ने बदतमीजी करने की, पर वे कामयाब नहीं हो पाए।

विरोधी दल के लोगों ने जानबूझ कर...(जबकि अंदर कह रही थीं कि कपड़े फाड़ दिये, बुरा हाल कर दिया)। प्रिंट मीडिया के फोटोग्राफरों ने कहा बात-चीत हो गई, अब कुछ पोज दे दीजिए। नग़मा ने बूढ़े-पुराने जाटों को समझाया कि कैमरे की रिक्वायरमेंट क्या है और किस तरह का सीन बनाना है। उन्होंने वैसा ही सीन बना दिया, जैसे बुजुर्गों से सामान्य चुनावी बातचीत कर रही हों। अपने अभिनय के अनुभव से उन्होंने फोटोग्राफरों की बात चंद सैकंड में समझ ली। सबको खुश करने के बाद वे खुद भी खुशी-खुशी विदा हो गईं।

जैसलमेर राजघराने से ताल्लकु है नगमा का... पढ़ें अगले पेज पर...


39 बरस की नग़मा के पिता हिंदू थे और मां मुस्लिम। पिता जैसलमेर राजघराने से ताल्लुक रखते थे। नाम था अरविंद प्रताप सिंह मोरारजी। मां का नाम था शमा काजी। वे कोंकणी थीं। नग़मा का पुराना नाम था नंदिता अरविंद मोरारजी। बाद में नग़मा ने नाम बदल लिया।

उनकी मां का तलाक भी हो गया और दूसरे पिता थे फिल्म डायरेक्टर चंदर सदाना। यहीं से नग़मा को फिल्मी लाइन मिली। दूसरे पिता से उन्हें दो भाई और दो बहनें हैं। उनका ओरिजनल नाम आज भी नंदिता ही है। उन्होंने कई हिंदी और गैर हिंदी भाषी फिल्में कीं, पर चल नहीं पाईं। दस बरस से कांग्रेस में हैं और लगातार काम कर रही हैं।