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Written By WD
Last Modified: सोमवार, 14 अप्रैल 2014 (13:31 IST)

जनता करे सवाल तो हम क्या जवाब दें?

- लखनऊ से दीपक असीम

जनता करे सवाल तो हम क्या जवाब दें? -
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टीवी वाले जब जनता और उम्मीदवारों को बुलाकर टॉक शो कराते हैं, तो जनता बड़ी हमलावर हो जाती है। एक तो कैमरे से उत्साह का संचार होता है, दूसरा यह गारंटी रहती है कि कैमरे के सामने नेताजी और उनके गुर्गे गुंडागर्दी नहीं करेंगे। सो लखनऊ की जनता ने भी वही किया, जो लखीमपुर खीरी से लेकर लंदन की जनता करती होगी और करना चाहिए भी। रविवार की शाम रूमी दरवाजा, बड़ा इमामवाड़ा पर एक टीवी चैनल वाले ने टॉक शो रख डाला। बुलाया गया था चार उम्मीदवारों को- जावेद जाफरी, राजनाथसिंह, रीता बहुगुणा जोशी और सपा के अभिषेक मिश्र को।

पहुंचे केवल जावेद जाफरी। बकाया ने अपने-अपने प्रतिनिधि भेज दिए। सपा ने भेजा बुक्कल नवाब को जिनका पूरा नाम है मज़हर अली खां। ये आसिफुद्दोला के वशंज है, जिसने यहां रूमी दरवाजा उस वक्त बनवाया था, जब अकाल पड़ा था। मजदूरों को काम देने के लिए दिन में दरवाजा बनवाया जाता और रात को तोड़ दिया जाता (दरवाजे पर अब भी कुछ काम चल रहा है)। कांग्रेस की तरफ से आए प्रवक्ता जूदेंद्र त्रिपाठी और भाजपा की तरफ से प्रवक्ता मनीष शुक्ला।

न्यूज चैनल का एंकर कन्फ्यूज भी है और बनावटी भी। इतनी गर्मी में भी वो कोट पहना हुआ है, जो ऐसा मुसा हुआ है, जैसे घड़े से निकाल कर पहना हो। उसके बाल अस्त-व्यस्त हैं और चेहरा ऐसा लग रहा है जैसे दोपहर को सो कर उठने के बाद पानी चुपड़ लिया हो। प्रोग्राम शुरू होने से पहले यह जनता से कहता है कि मुझे राजनीति पसंद नहीं है, राजनीतिक बातें नहीं होनी चाहिए (जनता भी सोच रही है कि फिर ये यहां आया किसलिए है)।

ये जनता से पूछता है कि यहां के लोकल मुद्‌दे क्या हैं? मगर जब जनता इन प्रतिनिधियों से लोकल मुद्‌दों जैसे- सफाई, सड़क, बिजली, पानी पर सवाल पूछती है, तो यही एंकर कहता है कि ये तो पार्षद चुनाव के मुद्‌दे हैं। ये चुनाव तो लोकसभा का है। जाहिर है ऐसी बहस का अंत, प्रारंभ और मध्य कुछ अच्छा नहीं रहने वाला। दूसरी समस्या यह है कि जब उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि कुछ बोलते हैं तो जनता को कुछ सुनाई नही देता, क्योंकि ये माइक रेकार्डिंग के लिए हैं, जनता तक आवाज़ पहुंचाने के लिए नहीं।

ऐसे में शुरू हो जाता है चीखना-चिल्लाना...। जावेद जाफरी को बाहरी उम्मीदवार कहा जा रहा है। जावेद जाफरी का गला बैठा है, मगर वे कहते हैं कि किसी और ने भले ही शपथ पत्र दिया हो कि न दिया हो, मैंने दिया है कि मैं साल के छह महीने यहीं रहूंगा। सबसे ज्यादा तालियां उनके ही बयान पर पिटती हैं क्योंकि इस बहस में आप पार्टी के समर्थक और समर्थक जनता ज्यादा है। भाजपा के एक समर्थक ने सवाल उठाया है कि सपा, कांग्रेस और आप तो एक ही थैली के चट्‌टे बट्‌टे हैं, इसलिए जितना समय इन तीनों को बोलने के लिए दिया जा रहा है, उतना अकेले भाजपा प्रतिनिधि को दिया जाए। सपा समर्थक यहां किसी को बोलने नहीं दे रहे। जाहिर है उनकी गुंडागर्दी यहां भी जारी है। वे एंकर से उलझ लेते हैं। आखिरकार बायकाट कर चले जाते हैं।
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जनता सबसे ज्यादा त्रस्त सपा से ही है और सबसे ज्यादा मुश्किल में डालने वाले सवाल भी उन्हीं से पूछे जा रहे हैं। नवाब बुक्कल (वंशज आसिफुद्‌दोला) से पूछा जाता है कि आपके लकड़दादा, सकड़दादा ने लखनऊ के लिए इतना किया, रूमी दरवाजा तुड़वाकर बार-बार बनवाया, सपा क्या कर रही है? बुक्कल नवाब जवाब देते हैं कि देखिए दरवाजे का काम तो अभी भी चल रहा है (सपा वाले ताली बजाते हैं) अब एंकर जनता के बीच चला गया है। कांग्रेस प्रवक्ता अनौपचारिक रूप से पूछते हैं- ये काम तो पुरातत्व विभाग वाले करा रहे हैं, इसमें सपा कहां हैं? ''कोई भी करा रहा हो, काम हो तो रहा है ना'' बुक्कल नवाब धूर्ततापूर्वक मुस्कुरा के कहते हैं।

एक महिला खड़ी होकर कहती है कि जिन उम्मीदवारों को यहां आकर जनता से बात करने की फुरसत नहीं वो जीतने के बाद क्या...(तालियां)....। एक लड़का उठकर कहता है कि मैं बचपन से रंगकर्म से जुड़ा हूं, मुझे किसी ने नहीं पूछा। अब आम आदमी पार्टी में मेरी इज्जत...(एंकर उस लड़के के सामने से माइक कैमरा हटा लेता है, जाहिर है यह हिस्सा संपादित हो जाएगा।)। एक ने आप पार्टी को भगौड़ा कहा है।

भीड़ से ही दूसरा कहता है कि राजनाथ गाजियाबाद से यहां भागकर क्यों आया? बुक्कल नवाब को एक कमाल का सवाल सूझा है। वे कहते हैं जावेद जाफरी ने झूठा शपथ पत्र दिया है कि वे तीन महीने से यहां रह रहे हैं। जनता बताए कि क्या जावेद जाफरी वाकई तीन महीने से लखनऊ में हैं? भीड़ अब जावेद जाफरी के खिलाफ हो गई है। जावेद कहते हैं कि मैंने ऐसा कोई शपथ पत्र दिया ही नहीं। यह जरूर लिखा है कि मैं सात महीनों से यहां आना-जाना कर रहा हूं। एक ने सवाल किया कि आजम खान और अमित शाह जब बोलते हैं तो जहर ही क्यों उगलते हैं? अब इसका क्या जवाब होगा?

बहरहाल ऐसा ही भभ्बड़ देर तक मचा रहता है और एंकर ने अपना प्रोग्राम लपेट दिया है। लोग नाराज हैं कि उनका एक भी सवाल रेकार्ड नहीं हुआ है। एंकर को घेर लिया गया है। उम्मीदवार चले गए हैं, मगर एंकर लोगों के सवाल रेकार्ड कर रहा है। बेचारा क्या करे उसे सारा सामान हिफाज़त से स्टूडियो जो ले जाना है और खुद भी जाना है।