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Last Updated : गुरुवार, 28 जनवरी 2021 (15:53 IST)

Red Fort Violence: लाल किले पर हिंसा की खौफनाक कहानी, तलवार से पुलिसवालों का सिर फोड़ा, पत्थर से दांत तोड़े फिर भी पुलिस ने नहीं चलाई गोली

Red Fort Violence: लाल किले पर हिंसा की खौफनाक कहानी, तलवार से पुलिसवालों का सिर फोड़ा, पत्थर से दांत तोड़े फिर भी पुलिस ने नहीं चलाई गोली - story of red fort violence
अगर मैं लाल किले से उस खाई में छलांग न लगाता तो शायद मेरी गर्दन काट दी जाती। असिस्‍टेंट सब इंस्‍पेक्‍टर जोगिंदर राज मंगलवार के हमले को याद करके यही कहते हैं। गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किले में जमकर बवाल हुआ था। जोगिंदर कहते हैं ‍कि हमलावरों के पास हर तरह के हथियार थे। वे प्राचीर पर चढ़ गए और अपना झंडा फहरा दिया। 
 
मोहन गार्डन के एसएचओ बल‍वंत सिंह के दोनों हाथों में फ्रैक्‍चर है। वह नजफगढ़ रोड पर उत्‍तम नगर में तैनात थे। उन्‍होंने बताया ‍कि हमारी ड्यूटी थी कि किसान ट्रैक्‍टर परेड लेकर रोड न क्रॉस करें। करीब ढाई बजे, प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए और अपने रास्‍ते में खड़ी एक बस को तोड़ने लगे।
 
मानों वे अपना सारा गुस्‍सा बस पर निकाल रहे थे। समझाइश देने और उन्हें रोकने जब एसएचओ उनकी तरफ बढ़े तो भीड़ ने उनपर लाठी से वार किया। इस हमले में सिंह की बांह में फैक्चर हो गया और अन्य चोटों के चलते उन्‍हें अस्‍पताल ले जाना पड़ा।
 
तिलक ब्रिज के नीचे इंस्‍पेक्‍टर पीके झा बैरिकेड्स लगवा रहे थे तभी हिंसक भीड़ ने उनपर पथराव कर दिया। दंगा शील्‍ड पहने होने की वजह से उनकी पीठ तो बच गई लेकिन एक पत्‍थर सीधे उनके मुंह पर लगा जिससे उनके दो दांत टूट गए। लहूलुहान इंस्पेक्टर झा को एक ऑटो में अस्पताल ले जाना पड़ा। 
 
इसी तरह लाल किले पर ड्युटी दे रहे इंस्‍पेक्‍टर पीसी यादव को अपने घायल साथी को सुरक्षित निकालते समय तलवार के हमले में सिर, गर्दन और बांह पर चोटें आईं हैं। उन्‍होंने मीडिया को बताया कि प्रदर्शनकारियों के पास तलवारें, ढालें और भी कई हथियार थे। उनमें से कुछ (लाल किले की) प्राचीर पर चढ़ गए थे और हम उन्‍हें रोकने की कोशिश में थे। 
 
तभी मैंने देखा कि मेरे एक साथी के सिर से खून बह रहा है। मैंने उसे उठाया और सुरक्षित जगह ले जा रहा था। उन्‍होंने बताया कि हमने संयम बरता और किसानों से कहा कि मुझे अपने साथी को अस्‍पताल ले जाने दीजिए। तभी तलवार से मेरे सिर पर हमला हुआ, मेरा हेलमेट टूट गया लेकिन मैं किसी तरह अपने एक साथी को बचाने में कामयाब रहा।
 
उन्होंने कहा हमने बलप्रयोग नहीं किया। न ही गोली चलाई, यदि अगर हम ऐसा करते तो कई जानें जा सकती थीं। उनके साथ तैनात कई पुलिसकर्मियों ने किले से 15 फीट नीचे कूद कर अपनी जान बचाई। सिस्‍टेंट सब इंस्‍पेक्‍टर जोगिंदर राज बताते हैं कि अगर मैं लाल किले से उस खाई में छलांग न लगाता तो शायद मेरी गर्दन काट दी जाती। 
हिंसा और तोड़-फोड़ में दिल्ली पुलिस के 394 कर्मी घायल हुए हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने भी किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान भड़की हिंसा के बीच अपनी जान खतरे में डालकर भी धैर्य और संयम रखने वाले पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों से मिलकर उनके धैर्य और शौर्य की तारीफ की है। 
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