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Last Updated : शनिवार, 12 दिसंबर 2020 (17:45 IST)

किसान नेता बोले- PM के अलावा किसी से नहीं करेंगे बात, 'दिल्ली मार्च' को देखते हुए सुरक्षा सख्‍त

Farmer leader | किसान नेता बोले- पीएम के अलावा किसी से नहीं करेंगे बात, 'दिल्ली मार्च' को देखते हुए सुरक्षा सख्‍त
नई दिल्ली। केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन को और तेज करने तथा जयपुर-दिल्ली एवं यमुना एक्सप्रेस-वे को अवरुद्ध करने की किसानों की घोषणा के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने शनिवार को शहर की सीमाओं पर जवानों की तैनाती बढ़ा दी और कांक्रीट के अवरोधक लगा दिए।
 
नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर 12 दिनों से धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने आरोप लगाया कि हमने चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का खुलकर समर्थन किया था, क्योंकि हमें आशा थी कि वे किसानों की हित की बात करेंगे। लेकिन अब प्रधानमंत्री किसानों व गरीबों की बात नहीं सुन रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जब तक प्रधानमंत्री इस मामले में सीधे हस्तक्षेप नहीं करेंगे, तब तक किसानों की समस्या हल नहीं होगी। वे प्रधानमंत्री के अलावा किसी से भी बात नहीं करेंगे। कृषिमंत्री या अन्य कोई अन्य मंत्री इस समस्या का हल नहीं कर सकते हैं। उनके अनुसार सिर्फ प्रधानमंत्री ही किसानों की समस्या का हल कर सकते हैं।
 
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि गुड़गांव से लगती दिल्ली की सीमा और जयपुर से राष्ट्रीय राजधानी को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर कोई प्रदर्शन नहीं हो रहा है। अधिकारी ने कहा कि अब तक दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर कोई प्रदर्शन नहीं है, ऐसे में यातायात में कोई रुकावट नहीं है। लेकिन किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हमने उपयुक्त सुरक्षा इंतजाम किए हैं। 
 
मौजूदा आंदोलन का हिस्सा सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने कहा कि राजस्थान और हरियाणा से किसान इकट्ठा हो रहे हैं और उनका 'दिल्ली मार्च' रविवार को शुरू होगा। यादव ने ट्वीट किया कि जयपुर-दिल्ली राजमार्ग पर किसानों का 'दिल्ली मार्च' शनिवार को नहीं, कल रविवार को शाहजहांपुर बॉर्डर से शुरू होगा। शनिवार को राजस्थान और हरियाणा के किसान कोटपुतली और बहरोड़ में एकत्र होंगे। गौरतलब है कि कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हजारों किसान बीते 16 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
पुलिस के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं जिनमें बहुस्तरीय अवरोधक लगाना और पुलिस बल को तैनात करना शामिल हैं। प्रदर्शन स्थलों पर यात्रियों को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े, इस लिहाज से भी कुछ उपाय किए गए हैं। दिल्ली यातायात पुलिस ने महत्वपूर्ण सीमाओं पर अपने जवानों को तैनात किया है ताकि आने-जाने वाले लोगों को कोई परेशान नहीं हो। इसके अतिरिक्त यातायात पुलिस ट्विटर के जरिए लोगों को खुले एवं बंद मार्गों की भी जानकारी दे रही है।
 
दरअसल, किसान नेताओं ने नए कृषि कानूनों में संशोधन का सरकार का प्रस्ताव बुधवार को खारिज कर दिया था। इसके साथ ही उन्होंने जयपुर-दिल्ली तथा यमुना एक्सप्रेस-वे को शनिवार को अवरुद्ध कर अपने आंदोलन को तेज करने की घोषणा की थी। यातायात पुलिस ने शनिवार को यात्रियों को ट्वीट कर सिंघू, औचंदी, प्याऊ मनियारी और मंगेश सीमाओं के बंद होने की जानकारी दी। लोगों को लामपुर, सफियाबाद, साबोली और सिंघू स्कूल टोल टैक्स सीमाओं से आने-जाने की सलाह दी गई है।
उसने कहा कि मुकरबा और जीटीके रोड से वाहनों के मार्ग में परिवर्तन किए गए हैं, अत: लोगों को बाहरी रिंग रोड, जीटीके रोड और राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर जाने से बचना चाहिए। इसमें यह भी कहा गया कि किसानों के प्रदर्शन के कारण नोएडा एवं गाजियाबाद से यातायात के लिए चिल्ला और गाजीपुर सीमाओं को बंद किया गया है अत: दिल्ली आने के लिए आनंद विहार, डीएनडी, अप्सरा एवं भोपुरा सीमाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है।
यातायात पुलिस ने ट्वीट कर बताया कि टिकरी और ढांसा सीमाएं भी यातायात के लिए बंद हैं। हालांकि झटीकरा सीमा दोपहिया वाहनों एवं पैदल यात्रियों के लिए खुली है। इसमें हरियाणा की ओर जाने वाले लोगों को झरोडा, दौराला, कापसहेड़ा, बडुसराय, रजोकरी एनएच-8, बिजवासन-बाजघेड़ा, पालम विहार और डूंडाहेड़ा सीमाओं से जाने को कहा गया है।
 
किसान नेताओं ने गुरुवार को यह घोषणा भी की थी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो देशभर में रेलमार्गों को अवरुद्ध कर दिया जाएगा और इसके लिए जल्द ही तारीख घोषित की जाएगी। सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच 5 चरण की वार्ता बेनतीजा रहने के बाद गत बुधवार को प्रस्तावित 6ठे दौर की वार्ता निरस्त कर दी गई थी। इस बीच नए कृषि कानूनों के विरोध में धरना दे रहे किसानों का हौसला शनिवार की हुई बारिश भी नहीं तोड़ पाई। किसान खुले आसमान में कड़ाके की ठंड व बारिश में भीगते हुए धरनास्थल पर डटे रहे। (भाषा)
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