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रंगभरी एकादशी की कथा : यह कथा देती है समृद्धि का शुभ वरदान

रंगभरी एकादशी की कथा : यह कथा देती है समृद्धि का शुभ वरदान - rangbhari ekadashi katha 2022
रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi vrat katha) व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में चित्रसेन नाम का एक राजा था। उसके राज्य में एकादशी व्रत का बहुत महत्व था। राजा समेत सभी प्रजा एकादशी का व्रत बहुत ही श्रद्धा और भावपूर्वक किया करते थे। 
 
राजा चित्रसेन को आमलकी एकादशी (amalaki ekadashi) के प्रति बहुत गहरी आस्था थी। एक बार राजा शिकार करते हुए जंगल में बहुत दूर निकल गए। उसी समय कुछ जंगली और पहाड़ी डाकुओं ने राजा को घेर लिया और शस्त्रों से राजा पर प्रहार करने लगे, परंतु जब भी कोई डाकू राजा पर शस्त्र प्रहार करता, वह शस्त्र ईश्वर की कृपा से पुष्प में परिवर्तित हो जाता। उन डाकुओं की संख्या बहुत अधिक थी, अत: राजा संज्ञाहीन होकर भूमि पर पड़ा। उसी समय राजा के शरीर से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई और उस दिव्य शक्ति ने समस्त दुष्टों को मार गिराया और वह अदृश्य हो गई। 
 
जब राजा की चेतना लौटी तो सभी डाकुओं को मरा हुआ पाया। यह दृश्य देखकर राजा को आश्चर्य हुआ। राजा मन ही मन सोचने लगा कि इन डाकुओं को किसने मारा होगा? तभी आकाशवाणी हुई, 'हे राजन! यह सब दुष्ट तुम्हारे आमलकी एकादशी का व्रत करने के प्रभाव से मारे गए हैं। तुम्हारी देह से उत्पन्न आमलकी एकादशी की वैष्णवी शक्ति ने इनका संहार किया है। इन्हें मारकर वह पुन: तुम्हारे शरीर में प्रवेश कर गई।'
 
यह बातें सुनकर राजा को बहुत प्रसन्नता हुई और एकादशी के व्रत के प्रति राजा की श्रद्धा और अधिक बढ़ गई। राजा अपने देश वापस लौटा और राज्य में सबको एकादशी का महत्व बतलाया और इस एकादशी की कृपा से राजा पुन: सुखपूर्वक राज्य करने लगा। 

 
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