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Last Updated : गुरुवार, 25 सितम्बर 2014 (20:00 IST)

स्वप्न, जो हकीकत में बदला-किशोर भुराडिया

स्वप्न, जो हकीकत में बदला-किशोर भुराडिया - kishore bhuradia on webdunia
वेबदुनिया के पूर्व मुख्‍य परिचालन अधिकारी किशोर भुराड़िया ने हिन्दी पोर्टल के 15 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में पाठकों और टीम को बधाई देते हुए कहा कि हमें शुरू से ही उम्मीद थी कि इंटरनेट पर हिन्दी जरूर अपना खास स्थान बनाएगी। अन्तत: हमारा सपना पूरा हुआ।

 
उन्होंने कहा कि इंटरनेट के शुरुआती दौर में अंग्रेजी का ही वर्चस्व था। ऐसे में भारतीय भाषाओं को इस माध्यम पर लाना वाकई बहुत बड़ी चुनौती थी। मगर जब हमने इस दिशा में शोध किया तो मालूम हुआ कि देश में प्रिंट होने वाले 10 बड़े समाचार पत्रों में से 8 भारतीय भाषाओं के पत्र हैं। इस बात ने काफी उत्साहित किया।

जब सालों से चलने वाले समाचार पत्र बिना भारतीय भाषाओं के नहीं चल सकते हैं तो अंतत: इंटरनेट भी बिना भारतीय भाषाओं के नहीं चल सकेगा।

भुराड़िया ने कहा कि शुरुआती दौर में चुनौतियां भी कम नहीं थीं। कोई टूल नहीं था। सबसे पहले ईपत्र नाम से ईमेल सेवा शुरू की गई। कई उतार-चढ़ाव भी आए मगर धीरे धीरे विश्वास भी बढ़ने लगा। अन्तत: हमारा स्वप्न सही साबित हुआ।

मुझे खुशी है कि इंटरनेट पर इस हिन्दी क्रांति में मेरा भी एक छोटा सा योगदान रहा है। मैं वेबदुनिया के पाठकों का इसके लिए आभार व्यक्त करता हूं।