गुरुवार, 28 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. योग
  3. ध्यान योग
  4. Yoga for elephant similar power
Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

हाथी जैसे बल के लिए बल समूह संयम योगा ध्यान

हाथी जैसे बल के लिए बल समूह संयम योगा ध्यान - Yoga for elephant similar power
शरीर को बलवान और मन को शक्तिशाली बनाने के लिए 'बल समूह संयम योगा' किया जाता है। बहुत अभ्यास से यह योग सिद्ध होता है। धारणा सिद्धि योगी के लिए यह बहुत ही सरल है।

कैसे करें बल समूह योगा : बल में संयम करने से व्यक्ति बलशाली हो जाता है। बलशाली अर्थात जैसे भी बल की कामना करें वैसा बल उस वक्त प्राप्त हो जाता है। जैसे कि उसे हाथीबल की आवश्यकता है तो वह प्राप्त हो जाएगा।

व्यक्ति जिस पर ध्यान देता है वह चिज सक्रिय होने लगती है यदि आप नकारात्मक बातों पर ध्यान देते रहते हैं तो नकारात्मक सक्रिय होकर आपने जीवन को तहस नहस कर देगा, लेकिन यदि आप सकारात्मक बातों पर ध्यान देते हैं तो जीवन में सब कुछ सकारात्मक ही होगा। ठीक उसी तरह आप अपने शरीर और मन को महत्व देने लगे और बल पर ही संयम करते रहें तो यह दोनों ही शक्तिशाली बन जाएंगे। शुरुआत छोटी चिजों से करें।

 

कैसे, दिमाग की शक्ति को शरीर में उतारें...

 

दिमाग की शक्ति को शरीर में उतारें : योग मानता है कि ‍शक्ति दिमाग में होती है शरीर में नहीं। दिमाग को आदेश दें कि आप शक्तिशाली हैं। इस सिद्धि को बल समूह में संयम ‍की सिद्धि कहते हैं। यह जब प्राप्त हो जाती है तो व्यक्ति हाथी के बल में संयम करने से हाथी के समान बल, सिंह के बल में संयम करने से सिंह के समान, गरुड़ के बल में संयम करने से गरुड़ के समान, वायु के बल में संयम करने से वायु के समान बल प्राप्त कर सकता है।

अगले पन्ने पर, कैसे होगा यह संभव?

 


FILE
प्राणायाम, धारणा और ध्यान द्वारा यह प्राप्त किया जा सकता है। छोटी सी विवि हैं यदि आप यौगिक यम, नियम और आहार का पालन करते हुए प्रतिदिन, प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास करें। धारणा का मतलब मन को एकाग्र कर मजबूत करने का उपक्रम। चित्त को किसी एक विचार मे बांध लेने की क्रिया को धारणा कहा जाता है। ऐसे चित्त की कल्पनाएं साकार होने लगती है।

दृड़ निश्चियी : धारणा के संबंध में भगवान महावीर ने बहुत कुछ कहा है। श्वास-प्रश्वास के मंद व शांत होने पर, इंद्रियों के विषयों से हटने पर, मन अपने आप स्थिर होकर शरीर के अंतर्गत किसी स्थान विशेष में स्थिर हो जाता है तो ऊर्जा का बहाव भी एक ही दिशा में होता है। ऐसे चित्त की शक्ति बढ़ जाती है, फिर वह जो भी सोचता है वह घटित होने लगता है। जो लोग दृड़ निश्चिय होते हैं, अनजाने में ही उनकी भी धारणा पुष्ट होने लगती है। धारणा से ही बल समूह में संयम होता है और व्यक्तित्व शक्तिशाली बनता है।