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दिल्ली चुनाव : केजरीवाल की पांच कमियां

दिल्ली चुनाव :  केजरीवाल की पांच कमियां - Delhi election, Arvind Kejriwal five drawbacks
अरविंद केजरीवाल में जनता को आम आदमी नजर आता है, वह आम आम आदमी जो सुख- सुविधाओं के बीच खोए राजनेता से अलग जनता के लिए सर्वसुलभ हो, लेकिन केजरीवाल की ये कमियां उन्हें दिल्ली चुनाव में भारी पड़ सकती हैं 
1. अतिमहत्वाकांक्षा :  केजरीवाल ने पिछले साल दिल्ली चुनाव में अपना दम तो दिखाया और आप ने केजरीवाल की अगुआई में पहली बार अपनी सरकार बनाई, लेकिन केजरीवाल ने अपनी महत्वाकांक्षा के चलते दिल्ली सीट से  इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रीय स्तर पर अपने आपको स्थापित करने में लग गए। बिना जमीनी हकीकत जाने दिल्ली में जीत के बाद केजरीवाल को भान होने लगा कि वे प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंच सकते हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और इसका उन्हें खामियाजा भी भुगतना पड़ा और लोकसभा चुनाव में केजरीवाल को मुंह की खानी पड़ी। कहीं न कहीं केजरीवाल की अतिमहत्वाकांक्षा दिल्ली चुनाव में उनकी पार्टी की छवि पर असर डाल सकती है। 
 
2. भगोड़ा छविः पिछले चुनाव में केजरीवाल की पार्टी ने दिल्ली में सरकार बनाई थी। लेकिन, 49 दिन के बाद ही  केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था। केजरीवाल के इस प्रकार से इस्तीफा देने को लेकर उन्हें भर्त्सना झेलनी पड़ी  और बाद में हुए लोकसभा चुनाव में दिल्ली में आप एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हुई। कहीं न कहीं उनकी यह  छवि दिल्ली के चुनावी दंगल में उनकी राह का रोड़ा बन सकती है। 
 
3. पार्टी में तानाशाही रवैया :  पिछले चुनाव में केजरीवाल की पार्टी से लड़ने वाले कई प्रत्याशियों ने केजरीवाल की  पार्टी केजरीवाल द्वारा तानाशाही रवैया को लेकर छोड़ी। लोगों का कहना है कि केजरीवाल किसी सुनते नहीं है और वे  अपने मन की चलाते हैं। ऐसे में जनता उनकी ओर से मुख मोड़ ले तो उसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। 
 
4. झूठे हैं केजरीवालः केजरीवाल ने पिछले दिल्ली चुनाव के दौरान भाजपा या कांग्रेस से समर्थन ना लेने की बात  कही थी। इसके लिए केजरीवाल ने अपने बच्चों तक की कसमें खाई थी, लेकिन चुनाव के बाद केजरीवाल अपनी  बात पर तब मुकर गए जब उन्होंने कांग्रेस का समर्थन लेते हुए दिल्ली में अपनी सरकार बनाई। जब उनसे पूछा  गया कि आपने वादों से मुकरते हुए कांग्रेस से समर्थन क्यों लिया है तो उन्होंने कहा था कि उन्होंने कांग्रेस से  समर्थन लिया नहीं है बल्कि उन्हें समर्थन दिया गया है। केजरीवाल का वादों से इस प्रकार मुकरना उनकी पार्टी के  लिए भारी पड़ सकता है। 
 
5. बड़बोलापन :  केजरीवाल अपने बड़बोलेपन को लेकर जाने जाते हैं। हाल ही में उनकी कंपनी पर फर्जी तौर पर  चंदा लेने का आरोप लगा। इसी बीच उन्होंने देश के वित्तमंत्री अरुण जेटली को उनको गिरफ्तार करने के लिए  चुनौती दे डाली। केजरीवाल का बड़बोलापन भारत जैसे प्रजातंत्रीय देश में उन पर भारी पड़ सकता है और हो सकता  है कि उनका बड़बोला बन जनता में नकारात्मक छवि पेश करे। इस बड़बोलेपन के चलते कुछ लोग उन्हें नाटकबाज भी कहते हैं।