शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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Written By रवींद्र व्यास

मोहक मोरपंख की मनभावन महक

इस बार मोरपंख की ब्लॉग चर्चा

मोहक मोरपंख की मनभावन महक -
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मोरपंख मोहक होता है। उसकी बनावट मारू होती है। उसके रंग मनभावन होते हैं। नीले, हरे और चमकीले भूरे। उसके रेशे इतने कोमल होते हैं कि एक मखमली अहसास कराते हैं। उसमें बना एक खास आकार दिलकश होता है। आँखों और मन को एक साथ भाता है। इस मोरपंख से कई सारी स्मृतियाँ जुड़ी होती हैं।

ये स्मृतियाँ कभी किसी के सिर पर ताज की तरह लहराते पंख की याद दिलाती हैं तो किसी बाँसुरी की बावला कर देने वाली धुन की याद दिलाती हैं। किसी अनकहे प्यार की याद दिलाती हैं तो किसी अनसुनी प्रेमभरी तान की। इन सबसे बना सतरंगी संसार न भूली जा सकने वाली महक से सराबोर रहता है। यही महक कभी किसी बारिश के गीले लम्हों में महकती रहती है तो कभी किसी मंदिर की सीढि़यों पर बैठी किसी घंटी की तरह टुनटुनाती रहती है। कभी किसी नीली आँख में किसी सितारे की तरह टिमटिमाती रहती है तो कभी किसी गजल में गुनगुनाती रहती है।

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ऐसा ही मोरपंख ब्लॉग की दुनिया में चुपचाप चमकता रहता है, महकता रहता है। इसके भी अपने मनभावन रंग हैं। नीले, हरे और चमकीले। इसमें भी यादें हैं, धुन है, धुंध है। भीगी यादें और और कुछ गीले लम्हे हैं। प्रेमभरी तान है और जीवन का छोटे-मोटे खट्टे-मीठे गान हैं। ये कई कैटेगरीज में बँटे हुए हैं। यहाँ ड्रीम्ज हैं, मेमॉयर्स हैं, रोमांस है और यात्राएँ हैं। और यही नहीं गायिकाओं द्वारा गाई गई कुछ कालजयी गजलें भी हैं। यानी एक ही ब्लॉग में आपको मोहब्बत के सात रंग मिलेंगे। रोते-गाते, हंसते-गुनगुनाते। रूठते-मनाते। घूमते-गामते। पास बुलाते-पहलू में बैठाते। सिसकते-महकते। संभलते-गिरते।

यह ब्लॉग है मनीषा शर्मा का। इस ब्लॉग पर ज्यादातर कविताएँ हैं। कविताओं में बहते लम्हे हैं। सितारों से सपने या सपनों से सितारे हैं। ख्वाब हैं जो पलकों से गिरते हैं। जो काँच के नहीं बल्कि नाजुक अरमानों से बनते हैं। वे ख्वाबों को सितारे मानती हैं और उन्हें शबभर गिनने की बातें करती हैं। वे यह मानती हैं कि वे खुद के ही हिस्से हैं जो आसमान में दमकते हैं। उनकी नीली आँखों पर जरा गौर फरमाएँ-

जब देखी वो नीली आँखें..
क्या देखूँ उनमें..समझ न पाई
देखूँ उनमें नीला खुला आसमान
या नीले सागर की गहराई...

उनमें फैले सपने देखूँ ..
या देखूँ गमों की परछाई
नीली रोशनी अँधेरी रातों की!
या बरखा की नीली बदराई

दो बूँदें छलकाईं जब,
बिन बोले कितनी झल्लाई
समेटकर वो बूँदें बना दीं
मेरी कलम की नीली स्याही...

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जाहिर है तुकबंदी में वे आँखों से टपकती बूँदों को अपनी कलम की स्याही बनाती हैं और यह कहने की एक अदा अपनाती हैं कि इसमें मैं सपने देखूँ या गमों की परछाईं या फिर बरखा की नीली बदराई। उनकी कविताओं में अहसासों का एक दिलकश सिलसिला है जिसमें बारिश की भीगी स्मृतियाँ हैं, स्मृतियों में स्मृतियाँ है।

चाय-बिस्कुट अखबार के बहाने एक गीली सैर है। मुलाकात है, रूठने -मनाने का वही अंदाज है। उनकी कविताएँ किसी की आँखों में सपने जगाना चाहती हैं और यह भी ख्वाहिश है कि पूछ ले दरो-दीवार से मैं तेरा घर सजाना चाहती हूँ। यहाँ खुशबू में लिपटे दो पल हैं जो उनींदें हैं। जिसमें वे राहत औऱ चाहत ढूँढ़ना चाहती हैं।

यही नहीं वे बहते हुए पलों को पकड़ना चाहती हैं जो फूल से हलके और कुछ पंखो से नरम हैं लेकिन वे यह कहना भी नहीं भूलती कि ये लम्हे यहाँ तक वक्त के थपेड़े सहते हुए आए हैं। यह वह खूबसूरत खयाल भी है जिसमें एक प्रेम के लम्हे के साक्षी सूरजमुखी उसे देखकर अपना रूख बदल लेते हैं और भरी गरमी की दोपहर में बादल घुमड़ने लगते हैं।

वे ख्वाहिश के बीजों की बातें नाजुकता से करती हैं-

कब से अटके हैं ख्वाहिश के बीज
कितनी रातें बारिशों में निकल गई
रोज़ सुबह ढूँढती हूँ धूप में
शायद आज कोई बीज फूटा हो!!!

और इसी के साथ दो कदम साथ चलने की बात है मुस्कराने की बात है और मुस्कराने में छिपे प्यार की बात है। उनकी फिर कविता की इन पंक्तियों पर ध्यान दीजिए-

फिर चलना सड़क किनारे
अच्छा लगता था साथ तेरा
फिर तेरा हँसाना मुझको
और हँसी में छिपा प्यार मेर

मेमॉयर्स कैटगरी में बिजली के तारों को देखकर वे कहती हैं कि पानी से भरी जगहों में बादल-तारे साथ में अच्छा वक्त बिता रहे हैं लेकिन वे बिजली के तारों की तरह उलझे जिंदगी के तारों की भी बातें करती हैं। फिर एक वादे कविता में वे कहती हैं कि फिर एक वादा उसका, फिर एक इंतजार मेरा।

लेकिन यहाँ सिर्फ कविताएँ और यात्राएँ ही नहीं है, एक सुरीला सफर भी सुना जा सकता है। गायिकाओं की गाई ग़ज़लों में वे एक से एक ग़ज़ले सुनवाती हैं जिसमें कुछ कालजयी हैं। खासियत यही है कि यहाँ जो गजलें दी गई हैं वे गायिकाओं ने ही गाई हैं। जैसे चाँद तन्हा, आसमाँ तन्हा (मीना कुमारी), आपकी याद आती रही (छाया गांगुली), आज जाने की जिद न करो (फरीदा खानम), तुम अपना रंजोंगम अपनी परेशानी मुझे दे दो(जगजीत कौर), और फिजाँ भी हैं जवां जवां (सलमा आगा) सुनी जा सकती है और इश्क-ओ-मोहब्बत की शायरी और आवाज की रूह को महसूस किया जा सकता है। यहाँ आपको मोहक मोरपंख की मनभावन महक मिलेगी। यह पढ़ना-सुनना-महसूसना हो तो मोरपंख इस पते पर मिलेगा-

http://manishi11.blogspot.com/