शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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Written By संदीप तिवारी

बिहार में तबाही का मंजर

जल प्रलय से लाखों लोग प्रभावित

बिहार में तबाही का मंजर -
बिहार के कई ज‍िलों में आई भीषण बाढ़ से 30 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। राज्य में नेपाल से आने वाली कोसी नदी के तटबंध 18 अगस्त को टूट गए थे, जिसकी वजह से बिहार में कोसी नदी में उफान आ गया और उसने कई ज‍िलों में बड़ी संख्या में गाँवों को डुबो दिया।

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बिहार के सुपौल, अररिया और मधेपुरा ज‍िलों में बाढ़ से भारी तबाही हुई है। उल्लेखनीय है कि इन तीनों ज‍िलों की सीमाएँ नेपाल से मिलती हैं। इस बाढ़ से लाखों हैक्टेयर जमीन पर फसल तबाह हो गई है। इन प्रभावित ज‍िलों में बाढ़ से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए लगभग पचास राहत शिविर लगाए गए हैं।

कुछ इलाकों में भारतीय वायुसेना के 6 हेलिकॉप्टर राहत सामग्री के पैकेट नीचे गिराकर लोगों तक पहुँचाने की कोशिश करते रहे, लेकिन आपदा की गंभीरता को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह सहायता बहुत कम लोगों तक ही पहुँच सकी है। प्रभावित इलाकों में बहुत से लोगों ने ऊँचे स्थानों पर पनाह ली है और बहुत से लोग नदियों के ऊँचे तटों, ऊँची सड़कों और इमारतों पर पहुँचे हैं। वैसे इस बाढ़ से कुल 15 ज‍िले प्रभावित हुए हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ पीड़ितों के लिए केंद्र सरकार से एक लाख टन अनाज और एक हजार करोड़ रुपयों की सहायता की माँग की थी जिस पर प्रधानमंत्री ने बाढ़ग्रस्‍त इलाकों का सर्वेक्षण कर सवा लाख टन खाद्यान्न और एक हजार करोड़ रुपए की सहायता देने की माँग मान ली है।

बचाव कार्य के लिए 200 कश्तियाँ और 25 मोटर वाली नावें इस्तेमाल की जा रही हैं। प्रभावित इलाकों तक खाने के पैकेट पहुँचाने के लिए हेलिकॉप्टरों की मदद ली गई है। अधिकारियों ने बताया कि 50 से ज्यादा राहत शिविर लगाए गए हैं।

मधेपुरा में सेना के जवान राहत कार्यों में लगे हैं। इसके अलावा सशस्त्र सीमा बल, स्पेशल फोर्स और राष्ट्रीय आपदा रेस्पांस फोर्स के जवान भी मदद कर रहे हैं। अब तक मिली जानकारी के अनुसार 80 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन जान-माल की क्षति का सही आकलन बाढ़ के उफान के थमने के बाद ही हो सकेगा।

रिपोर्टों के मुताबिक बाढ़ के कारण हजारों हैक्टेयर भूमि पर खड़ी फसलों को नुकसान पहुँचा है। बिहार सरकार ने राहत एजेंसियों से अपील की है कि वे बाढ़ प्रभावित इलाकों तक राहत पहुँचाने में मदद करें लेकिन बहुत से लोगों का कहना है कि अब तक उन्हें कोई मदद नहीं मिली है।

ये कहना गलत है कि कोसी नदी ने धारा बदल ली इसलिए बिहार में प्रलयंकारी बाढ़ की स्थिति पैदा हुई है। वास्तव में नदी ने खुद धारा नहीं बदली बल्कि प्राकृतिक धारा को रोक कर बनाए गए बराज या तटबंध के टूटने के कारण ये स्थिति पैदा हुई है।

अब जब अतिरिक्त पानी के दबाव में तटबंध का जो हिस्सा टूटेगा उसी से होकर नदी बहेगी जो बिलकुल स्वाभाविक है। इसलिए ये कहना गलत है कि नदी ने खुद धारा बदली। पर जब इस वर्ष 18 अगस्त को बाँध टूटा तो पानी का बहाव महज एक लाख 44 हजार क्यूसेक था।

कोसी पर बना तटबंध सात बार टूट चुका है और बाढ़ से तबाही पहले भी हुई है। वर्ष 1968 में तटबंध पाँच जगहों से टूटा था और उस समय पानी का बहाव नौ लाख 13 हजार क्यूसेक मापा गया था। हालाँकि पहली बार 1963 में ही तटबंध टूट गया था। वर्ष 1968 में कोसी तटबंध बिहार के जमालपुर में टूटा था और सहरसा, खगड़िया और समस्तीपुर में भारी नुकसान हुआ था।

नेपाल में यह तटबंध 1963 में डलबा, 1991 में जोगनिया और इस वर्ष कुसहा में टूट चुका है। बाँध टूटने का एक बड़ा कारण कोसी नदी की तलहटी में तेजी से गाद जमना है। इसके कारण जलस्तर बढ़ता है और तटबंध पर दबाव पड़ता है।

शनिवार की रात सहरसा, सुपौल, अररिया और मधेपुरा ज‍िलों में कोसी नदी का जलस्तर दो से तीन फीट और बढ़ गया था। अभी तक चार लाख लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है जबकि डेढ़ लाख लोग 170 शिविरों में रह रहे हैं। बाढ़ का प्रकोप इतना ज्यादा है कि प्रभावित लोगों तक सहायता नहीं पहुँच पा रही है।

रविवार को कोसी नदी के टूटे तटबंध से एक बार फिर दो लाख क्यूसेक पानी बिहार में पहुँच गया। राज्य सरकार के अधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं कि स्थिति काफी खराब है और लोगों तक राहत नहीं पहुँच पा रही है।

इस बीच संयुक्त राष्ट्र बालकोष (यूनिसेफ) के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में बीमारियाँ फैलने की आशंका है और स्थिति से निपटने में काफी समय लग सकता है। हालाँकि सरकार का दावा है कि अब तक पाँच लाख लोगों को बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से बचाकर निकाला जा चुका है और इतनी ही संख्या में लोग बच कर निकल गए हैं।

बिहार में आई बाढ़ की चपेट में और भी कई नए इलाके आ गए हैं। नेपाल में तेज बारिश ने कोसी में उफान ला दिया है, जिस वजह से उत्तरी बिहार के मधेपुरा, सुपौल, अररिया और पूर्णिया के नए इलाकों में पानी भर गया है। कोसी में नेपाल से एक लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है और बिहार सरकार को आशंका है कि आने वाले दिनों में नौ लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा सकता है।

12 जिलों के करीब 900 गाँवों में बाढ़ का कहर है और करीब 30 लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं। राज्य सरकार ने मधेपुरा के लोगों को शहर खाली कर राहत शिविरों में जाने की सलाह दी है। सरकार का कहना है कि कोसी नदी के रास्ता बदल लेने से इस पूरे इलाके में प्रलय जैसा नजारा हो सकता है।

सबसे भीषण बाढ़ : बिहार के इतिहास में आई अब तक की सबसे भीषण बाढ़ में मरने वालों का जो सरकारी आँकड़ा पेश किया जा रहा है, लेकिन तबाही की मार उससे कई गुना ज्यादा है। राज्य सरकार ने शनिवार तक सुपौल, मधेपुरा, अररिया, सहरसा व पूर्णिया समेत राज्य के करीब 14 जिलों में मृतकों की तादाद 76 बताई। लेकिन चश्मदीदों के अनुसार कई जिलों के ब्लॉकों में गाँव के गाँव बह गए हैं। इसलिए मृतकों की तादाद हजारों में हो सकती है। कुछ लोग तो यह आँकड़ा एक से डेढ़ लाख के बीच भी बता रहे हैं।

  नेपाल के कुसहा में तटबंध टूटने के बाद कोसी की विनाशलीला लगातार जारी है। नदी के उग्र रूप को देखते हुए बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्य में तेजी लाने के लिए नौसेना बुला ली गई है      
सुपौल के कई गाँवों निशान तक नहीं बचा है। ऐसे गाँवों का एक भी परिवार सभी सदस्यों समेत सुरक्षित नहीं निकल पाया। जो लोग बचकर निकले, उन्होंने अपने परिवार के किसी न किसी सदस्य को मौत के मुँह में समाते देखा।

सुपौल व मधेपुरा के अनगिनत गाँवों में फँसे लाखों लोग बाढ़ के अब भी बाहर निकलने के लिए मदद का इंतजार कर रहे हैं। अकेले सुपौल में ही 50 से ज्यादा गाँवों के लोग धाराओं से बुरी तरह घिरे हुए हैं, लेकिन यहाँ पानी की धार इतनी तेज है कि फँसे लोगों के बचाव का काम मुश्किल हो गया है। सेना के लोग भी अपनी नावों के साथ वहाँ पहुँचने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे। इसके अलावा सुबह के समय हो रहे घने कुहरे की वजह से भी बचाव दल के काम में बाधा आ रही है।

आर्मी, एसएसबी, सीआरपीएफ व अन्य बचावकर्मियों द्वारा अभी चलाया जा रहा अभियान इन अनगिनत लोगों को बचाने के लिए पर्याप्त नहीं है। इन्हें बहुत बड़े पैमाने पर मदद की जरूरत है। राहत के लिए लगाए गए सरकारी कैंपों में भी हालात संतोषप्रद नहीं हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि गैरसरकारी संगठनों के साथ-साथ स्थानीय लोग पीडि़तों की मदद करने में जुटे हुए हैं और उन्हें खाने-पीने की सामग्री व अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराने की कोशिश कर रहे हैं।

राज्य के बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित इलाकों में बचाव एवं राहत कार्य युद्धस्तर पर चलाए जा रहे हैं। अगले 48 घंटे के दौरान प्रभावित क्षेत्रों के दूर दराज इलाकों में शरण लिए हुए करीब डेढ़ लाख लोगों को भी सुरक्षित ठिकानों पर पहुँचा दिया जाएगा।

प्रभावित इलाकों में सेना के पहले 4 हेलिकॉप्टर राहत कार्य जुटे थे लेकिन रविवार को 2 और हेलिकॉप्टर के पहुँचने के बाद उन्हें भी प्रभावित क्षेत्रों में भेज दिया गया है। बाढ़ग्रस्त इलाकों में सेना की 11 टुकड़ियाँ, नौ सेना की तीन टीम, नेशनल डिजास्टर रिस्‍पांस फोर्स (एनडीआरएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के जवान युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हैं।

जारी है कोसी की विनाशलीला : राज्य में बाढ़ से अब तक नौका दुर्घटना एवं अन्य घटनाओं में मधेपुरा में 54, सुपौल में 18, भागलपुर में 7, पश्चिम चंपारण के बगहा में 4, पूर्णिया और समस्तीपुर में 3-3 लोगों की मौत हो चुकी है। बाढ़ से अब तक 93 लोगों की जहाँ मौत हो चुकी है वहीं 30 लाख से अधिक की आबादी प्रभावित है। 400 से अधिक गाँव बुरी तरह डूब गए है।

कोसी नदी का तटबंध टूटने और नदी की धारा बदलने से ऐसी बाढ़ राज्य में अभी तक नहीं आई थी। नौका दुर्घटना और अन्य घटनाओं में मधेपुरा में 25, सुपौल में 10, भागलपुर में 7, पश्चिम चंपारण के बगहा में 4, पूर्णिया और समस्तीपुर में तीन - तीन लोगों की मौत हो चुकी है।

नेपाल के कुसहा में तटबंध टूटने के बाद कोसी की विनाशलीला लगातार जारी है। नदी के उग्र रूप को देखते हुए बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्य में तेजी लाने के लिए नौसेना बुला ली गई है। इसी बीच रविवार को नेपाल ने बराह क्षेत्र से 1 लाख 72 हजार क्यूसेक पानी अचानक छोड़ दिया, जिससे बिहार के कई और क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ गए। इससे बाढ़ की स्थिति और भयावह हो गई।