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Written By ND

इस्लाम के खिलाफ है सिमी संग्‍ाठन

इस्लाम के खिलाफ है सिमी संग्‍ाठन -
-शाहनवाज हुसैन

सबसे पहले यह मान लें कि सिमी मुस्लिम कौम का सबसे बड़ा दुश्मन है। सिमी के पाकिस्तानी आका मुशर्रफ मियाँ सत्ता से रुखसत हो गए। सिमी के कारनामों की वजह से मुस्लिम कौम की बदनामी से चिंतित भारत के अधिकतर अमनपसंद व देशभक्त मुसलमानों के लिए इससे अच्छी खबर कुछ हो नहीं सकती।

इसी तरह वोट बैंक की राजनीति के लिए रेलमंत्री लालूप्रसाद यादव, रसायन व उर्वरक मंत्री रामविलास पासवान व मुलायमसिंह जैसे सिमी के पैरौकारों को मुसलमान कौम के हाथों मुँह की खानी पड़े तो मुसलमानों पर शक का जो साया मँडराने लगा है, वह दूर हो सकता है।

  सिमी से पुलिस को नहीं बल्कि भारत के अमनपसंद मुसलमानों को खुद निपटना होगा, क्योंकि आईएसआई के हाथ का खिलौना बना सिमी उन्हें बदनाम करने पर तुला हुआ है      
सिमी से पुलिस को नहीं बल्कि भारत के अमनपसंद मुसलमानों को खुद निपटना होगा, क्योंकि आईएसआई के हाथ का खिलौना बना सिमी उन्हें बदनाम करने पर तुला हुआ है।

सिमी आज हिन्दुस्तान के मुस्लिम नौजवानों पर काले धब्बे की तरह है। जरा शुरू से गौर करें। आजादी के बाद हिन्दुस्तान के मुसलमानों के पास यह विकल्प था कि वे अपनी पसंद का मुल्क चुन लें। उस समय हमारा आबा-ए-अजदाह (बाप-दादों) ने मजहब के नाम पर बने मुल्क, हरे झंडे व चाँद तारे वाले झंडे वाले मुल्क पाकिस्तान को रिजेक्ट किया।

हमने मजहब के साथ रहने की जगह अपने हम वतन हिन्दुओं के साथ रहना तय किया। हमने अपने मजहब पर यकीन की जगह हिन्दुस्तान के बहुसंख्यक हिन्दू पर ज्यादा भरोसा किया। हिन्दुस्तान की मिलीजुली रवायत बेमिसाल है। यहाँ रह रहे मुसलमानों ने दुनिया के अन्य इस्लामिक मुल्कों में जाने की जगह अपने को भारत में अधिक सुरक्षित माना।

भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति की छाया में वैसे कई बार बारिश हुई। दो-चार छींटे भी पड़े होंगे, लेकिन यह साबित हो गया कि मुसलमान दुनिया में सबसे अधिक सुरक्षित भारत में ही हैं। आजादी के बाद 60 सालों में आज तक किसी मुसलमान ने भारत के साथ गद्दारी नहीं की।
  भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति की छाया में वैसे कई बार बारिश हुई। दो-चार छींटे भी पड़े होंगे, लेकिन यह साबित हो गया कि मुसलमान दुनिया में सबसे अधिक सुरक्षित भारत में ही हैं। आजादी के बाद 60 सालों में आज तक किसी मुसलमान ने भारत के साथ गद्दारी नहीं की      

जितना सम्मान भारत में मुसलमानों को मिला, उतना किसी भी अल्पसंख्यक को दुनिया में कहीं भी नहीं मिला। हिन्दुस्तान में अकलियत के लोग राष्ट्रपति से लेकर खेलों, फिल्मों में छाए।

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम इसके उदाहरण हैं। इरफान पठान व सानिया मिर्जा सिर्फ मुसलमानों के नहीं बल्कि पूरे देश के हीरो हैं।
पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर जब पहले पहल सिमी संगठन बना तो लगा कि यह मुसलमान छात्रों का कोई संगठन भर है, लेकिन जब संगठन ने कैलेंडर छापकर उस पर कुरान की कुछ आयतों को उद्धृत किया तो साफ हो गया कि वह हिन्दू मुसलमानों के बीच झगड़े को काफिर और मुसलमानों के बीच के झगड़े का रूप देने की मंशा रखता है।

90 के दशक में मुलायमसिंह जैसे नेताओं ने यूपी में सिमी को फलने-फूलने का मौका दिया। इस बीच संगठन के तार आईएसआई से लगातार जुड़े रहे। सिमी देशभक्त मुस्लिम नौजवानों को टेररिज्म की तरफ धकेलने की कवायद में जुटा रहा।

कश्मीर के टेररिज्म को अलग कर दें तो भारत के बाकी हिस्सों के मुसलमान आतंकवादी गतिविधियों में कभी लिप्त नहीं रहे। लेकिन सिमी की मंशा उन्हें आतंकवाद में झोंकने की हमेशा रही। लालकृष्ण आडवाणी जब देश के गृहमंत्री बने तो सिमी पर बैन लगा। उस समय मैं भी सरकार में था। मेरा उस समय भी मानना था कि सिमी भारतीय मुसलमानों के लिए एक बदनुमा दाग साबित होगा।

भारत के मुसलमानों को नहीं भूलना चाहिए कि जब इसराइल के प्रधानमंत्री साइमन परेस भारत आए थे तो आडवाणी ने उन्हें यह कहने में जरा भी संकोच नहीं किया था कि हम आतंकवाद के खिलाफ हैं, इस्लाम के खिलाफ नहीं। इतनी मजबूती से यह बात कहने वाले वे दुनिया के पहले नेता थे।

न्यूयॉर्क के 9/11 के बाद अमेरिका ने दुनिया के अलग-अलग देशों से 900 आतंकवादियों की जो सूची मँगाई तो उसमें एक भी भारतीय मुसलमान का नाम नहीं था। जिन मुसलमानों की देशभक्ति पर अब तक उँगली नहीं उठी थी, सिमी जैसे संगठन ने उसे शक के दायरे में ला दिया।

बैन के बाद सिमी अब इंडियन मुजाहिद्दीन बनकर काम कर रहा है। भारत की संस्कृति मुजाहिद्दीन संस्कृति की इजाजत नहीं देती। सिमी गुनाहे अजीम कर रहा है, जिसकी कोई माफी नहीं होनी चाहिए। सिमी के कारनामों को देखते हुए मैं पूरे देश में घूम-घूमकर मुस्लिम नौजवानों से यह अपील कर रहा हूँ कि वे सिमी जैसे संगठन को पुलिस के भरोसे न छोड़ें, उनसे खुद निपटें।

अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो भारत, जो पूरी दुनिया में उनके लिए सबसे सुरक्षित जगह है, वह भी असुरक्षित हो जाएगा। मुस्लिम नेताओं को भी आगे आकर कौम को यह समझाना होगा कि वह उनको बदनाम करने वाले संगठन सिमी की तरफदारी करने वाले लालू, मुलायम और पासवान जैसे नेताओं का चुनावों में हुक्का-पानी बंद करे।

कौम को उनकी यह गलतफहमी दूर करनी चाहिए कि सिमी का पक्ष लेने से वे खुश होते हैं। ये नेता सिमी का सपोर्ट कर दरअसल भारत के मुसलमान नौजवानों को आतंकवाद से जोड़ रहे हैं। मेरा तो मानना है कि इस बात की भी पड़ताल होनी चाहिए कि कहीं लालू जैसे नेता किसी को पैसे से भी मदद तो नहीं कर रहे।

अब सिमी के संदर्भ में पाकिस्तान की मानसिकता पर नजर डालें तो बात अच्छी तरह से समझ में आ जाएगी। पाकिस्तान को यह बात खटकती है कि भारत के मुसलमान आतंकवाद की तरफ उन्मुख क्यों नहीं हो रहे। इंडोनेशिया के बाद भारत में मुसलमानों की दुनिया में सबसे बड़ी आबादी है। दुनियाभर के कट्टरपंथी इस बात से दंग हैं।

पाकिस्तान के आका हिन्दुस्तान के मुसलमानों को नफरत की निगाह से देखते रहे हैं। भारत बँटवारे के समय जब से जिन्ना से पूछा गया कि हिन्दुस्तान के मुसलमानों का क्या होगा तो उनका जवाब था, हमने इनके जनाजे की नमाज पढ़ ली है।

हिन्दुस्तानी मुसलमानों को देखकर सबसे अधिक कोफ्त पाकिस्तानी मुसलमानों को होती है। इसलिए पाकिस्तान के इशारे पर चल रहे सिमी जैसे संगठन भारत से अधिक भारतीय मुसलमानों के खिलाफ हैं। सिमी की वजह से वे शक के दायरे में आ रहे हैं। (लेखक नागरिक उड्यन मंत्री रह चुके है)