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Written By WD
Last Updated : बुधवार, 3 सितम्बर 2014 (19:12 IST)

कश्मीर में इस बार सबसे खूनी होंगे चुनाव: सेना

-सुरेश एस डुग्गर

कश्मीर में इस बार सबसे खूनी होंगे चुनाव: सेना - Kashmir terrorism
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में दिसंबर-जनवरी में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में पाकिस्तान की ओर  से व्यापक स्तर पर गड़बड़ी फैलाने की आशंका अब हर गलियारे में व्यक्त की जाने लगी है। शंका  प्रकट करने वाले कहने लगे हैं कि पाकिस्तान चुनाव में गड़बड़ फैलाने की खातिर अल-कायदा तथा  तालिबान के सदस्यों की मदद भी लेना चाहता है। जबकि सेना के अधिकारियों का कहना है कि इस  बार के चुनाव सबसे अधिक खूनी होंगे, क्योंकि इस दौरान क्षति पहुंचाने की आतंकवादी कोशिश पहले  से कहीं अधिक होगी।

अगर उच्च पदस्थ आधिकारिक तथा खुफिया सूत्रों पर विश्वास किया जाए तो जम्मू-कश्मीर में होने  वाले चुनावों में खलल डालने के लिए पाकिस्तान तथा उसकी खुफिया संस्था आईएसआई ने अपने  प्रयासों को तेज कर दिया है। इन सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान कम से कम 10 हजार विदेशी भाड़े के  सैनिकों को किसी भी प्रकार जम्मू-कश्मीर में धकेलने को तत्पर है।

राज्य सरकार के गृह विभाग के पास उपलब्ध खुफिया विभाग की रिपोर्टों में इन आशंकाओं को  उजागर किया गया है। इन खबरों के मिलने के बाद कि पाक एजेंटों के ‘विशेष मौत के दस्ते’ राज्य  में भयानक तबाही मचा सकते हैं, विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा व्यवस्था की पुनः समीक्षा की गई है  और संभावित लूप होलों को भी दूर किया गया है। हालांकि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री तथा  राज्यपाल सहित अन्य राजनेताओं की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की गई है।

अधिकारी बताते हैं कि आईएसआई जल्द से जल्द इन विदेशी भाड़े के सैनिकों को इस ओर धकेलना  चाहती है जिनमें अधिकतर अल-कायदा तथा तालिबान के सदस्य शामिल हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए ये समाचार भी परेशानी लिए हुए हैं, क्योंकि बताया जाता है आईएसआई इन आतंकियों को भारत में प्रवेश करवाने के लिए उन्हें किसी भी भेष और किसी भी रास्ते से धकेल सकती है। जबकि गुप्तचर सूत्रों के अनुसार खाली हाथ आने वाले आतंकी उन हथियारों के भंडारों का प्रयोग कर सकते हैं अपनी कार्रवाइयों के दौरान, जो उनके समर्थकों तथा कूरियरों द्वारा पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। हालांकि इन भंडारों की तलाश में आतंकवादग्रस्त क्षेत्रों में व्यापक तलाशी अभियान छेड़ा जा चुका है।

राज्य सरकार के अधिकारी कहते हैं कि सरकार पाकिस्तान के कुत्सित इरादों के कारण चिंतित है, क्योंकि वे जानते हैं कि आतंकवादी अभी भी जहां चाहे मार करने की शक्ति रखते हैं, क्योंकि उन्हें कुछ भीतरी लोगों का समर्थन हासिल है जिनको निकाल बाहर करना सरकार के लिए कठिन हो चला है। वे बताते हैं कि इन आतंकियों के जम्मू-कश्मीर में प्रवेश को रोकने के लिए पाकिस्तान से सटी एलओसी, अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ ही पंजाब तथा हिमाचल से लगी सीमा पर भी सतर्कता बरतने  के निर्देश जारी किए गए हैं।

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान इस समय बहुत ही बौखलाया हुआ है और बौखलाहट में वह  कोई कदम भी उठा सकता है। इन सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान की बौखलाहट ने सिर्फ राज्य सरकार  के अधिकारियों तथा राजनीतिक दलों के नेताओं को ही खतरा पैदा नहीं किया है बल्कि हुर्रियत के सदस्यों के लिए भी खतरा पैदा किया है। इन सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान कश्मीर में चल रही हवा का रुख मोड़ने के लिए एक या एक से अधिक हुर्रियत नेताओं को रास्ते से हटा सकता है। हालांकि वह अपने पिट्ठुओं के जरिए इन पर कई आरोप पहले ही लगवा चुका है।

सनद रहे कि पाकिस्तान की चालों तथा प्रयासों को देखते हुए सिर्फ राजनीतिज्ञों, अधिकरियों को ही नहीं, हुर्रियत नेताओं को भी सरकारी सुरक्षा उपलब्ध करवाई जा रही है। यह बात अलग है कि हुर्रियत के नेताओं ने सरकारी सुरक्षा लेने से इंकार किया था लेकिन उनकी सभाओं तथा घरों के  आसपास दी जा रही अप्रत्यक्ष सुरक्षा व्यवस्था पर उनकी ओर से कोई आपत्ति नहीं उठाई गई है।