तस्वीरों के जरिये दुनिया की सैर
इस बार ब्लॉग 'छायाचित्रकार' की चर्चा
दुनिया में फोटोग्राफी को अब एक कला का दर्जा हासिल हो चुका है। फ्रेंच फोटोग्राफर हेनरी कार्तिएर ब्रेसां से लेकर हमारे रघु राय तक कई फोटोग्राफरों ने अपनी विलक्षण आँख से इतनी बेहतरीन फोटोग्राफी की है कि कई बार हमारी देखी गई चीजें, भवन, कोई मूर्ति, मंदिर या स्मारक हमें ज्यादा खूबसूरत नजर आने लगते हैं। इधर लोगों में घूमने-फिरने के बढ़ते चलन से शौकिया फोटोग्राफी का चलन भी बढ़ा है। अब बाजारों में एक से एक आसान कैमरे हैं और एक क्लिक से आप फोटो ले सकते हैं और अपने एलबम को सजा सकते हैं। सुनील दीपक इटली के बोलीनिया शहर में रहते हैं। वे समाजसेवी हैं। एक अंतरराष्ट्रीय संस्था से जुड़े हैं। जाहिर है इस सिलसिले में उन्हें दुनिया के कई इलाकों में जाना पड़ता है। वे जहाँ जाते हैं वहाँ के फोटो लेते हैं। इन्हीं फोटो को वे अपने एक अच्छे ब्लॉग छायाचित्रकार पर पोस्ट भी करते हैं। उन्होने ये फोटो यहाँ कई कैटगरी में दे रखे हैं जैसे यूरोप, साउथ अमेरिका, इंडिया, एनीमल, नेचर, पीपूल, आर्ट, डांस, फेमस प्लेसेस, और डेली लाइफ। इन कैटगरी में उनके खींचे फोटो देखने का आनंद लिया जा सकता है। वे इन फोटो के साथ बहुत ही संक्षिप्त लेकिन रोचक जानकारियाँ भी देते हैं।
उदाहरण के लिए उनकी एक पोस्ट अनसुनी कहानियाँ में वे लिखते हैं कि- मुझे लोगों से मिलना, बातें करना, उनकी कहानियाँ सुनना बहुत अच्छा लगता है, पर जीवन इतनी तेज़ी से बहता है कि रास्ते में दिखने वाले, मिलने वाले अधिकतर लोगों से रुक कर बात करने का समय नहीं मिलता. आज की तस्वीरों में चेहरे हैं, जिनमें शायद उदासी है, अकेलापन है, थकान है, अनसुनी कहानियाँ हैं।किसकी मूर्ति शीर्षक से लगाई गई पोस्ट में वे लिखते हैं कि -उलान बातोर, (मँगोलियाः) में आधुनिकता के साथ, भगवानों, संतों की मूर्तियों की जगह पहले नेताओं ने ले ली। मँगोलिया में रूसी प्रभाव बहुत था, इसलिए स्थानीय नेताओं के साथ साथ लेनिन, स्टालिन की मूर्तियाँ भी बहुत लगीं।
पर अब समय बदल रहा है और नेताओं के बदले में नयी मूर्तियों में आधुनिक कलाकारों की शिल्पकला को दिखाया जाता है। इस पोस्ट में उन्होंने कुछ कलाकारों द्वारा गढ़ी गई खूबसूरत मूर्तियों के फोटो लगाए हैं। इन मूर्तियों के देखकर यहाँ के कलाकारों की कला का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसी तरह से विएना (आस्ट्रिया) की कुछ मूर्तियों के फोटो वे पोस्ट करते हैं जो अब हरी हो चुकी हैं। वे लिखते हैं कि ताम्बें की ये प्राचीन मूर्तियाँ हवा औऱ पानी के साथ मिलकर हरी हो जाती हैं। आक्सीडेशन के कारण। ये मूर्तियाँ अपनी कलात्मकता के साथ ही इस हरे रंग में नहाकर अद्भुत दिखाई देती हैं।लेकिन सुनील जी की नजरें सिर्फ स्थापत्य और मूर्तिकला तक ही नहीं ठहरती वे लोगों को उनके जीवन को उनके संघर्ष और उनके उमंग उत्साह को भी अपने कैमरे में कैद करते चलते हैं। जैसे नेपाल के एक गाँव की औरतों के फोटो देते हुए वे टिप्पणी करते हैं कि कुछ आज की तस्वीरों में छाईमल्ले(नेपाल) की तस्वीरें हैं। अपने विकास की चेष्टा में रत, परस्पर सहायता के लिए बने एक महिला गुट की ये सदस्य हैं। दो साल पहले की यह यात्रा, पहाड़ों में पैदल चढ़ने उतरने की वजह से थोड़ी सी थकावट वाली थी, पर उसमें गाँवों में रहने वाली निम्न जाति कही जाने वाली बहुत सी महिलाओं को देखने जानने का मौका मिला था, जो आज भी नहीं भुला पाया हूँ। इन तस्वीरों को देखूँ तो बहुत से चेहरों से जुड़े संघर्ष की कहानियाँ याद आ जाती हैं। जाहिर है,वे लोगों को उनके चेहरों और उनके संघर्षों को अनदेखा नहीं करते है। अब लोगों के साथ साथ वे जीव-जंतुओं की भी दिलचस्प तस्वीरें लेते हैं। मिसाल के तौर पर बैंकाक की बिल्लियों की तस्वीरें। वे लिखते हैं आप से पूछा जाए कि दुनिया में कौन सा शहर है जहाँ सबसे अधिक बिल्लयाँ होती हैं तो आप क्या उत्तर देंगे? बचपन में पढ़ी 'जूतों वाली बिल्ली' जैसी किताबों में लिखा होता था कि इटली में वेनिस शहर को बिल्लियों का शहर कहते थे। पंद्रह बीस पहले तक सचमुच वेनिस में बहुत बिल्लियाँ दिखती थीं, लेकिन आजकल बहुत कम हो गयीं हैं. जबकि मुझे लगा कि सचमुच का बिल्लियों का शहर तो बैंकाक है जहाँ बुद्ध मंदिरों में बहुत बिल्लियाँ दिखती हैं। इसी तरह वे पक्षियों के खूबसूरत फोटो चस्पाँ करते हैं। और फोटो के जरिये वे अपना प्रकृति प्रेम भी दर्शाते हैं। वे जब विएना में ट्यूलिप के फूल देखते हैं तो यश चोपड़ा की फिल्म सिलसिला को याद करते हैं। अमिताभ बच्चन और रेखा को याद करते हैं। और इस तरह से भी अपनी पोस्ट को रोचक बनाने की कोशिश करते हैं । जैसे मंदिर पर लिखी
गई एक पोस्ट में वे अमिताभ के बोले गए लोकप्रिय संवाद का जिक्र करते हैं। ये संवाद दीवार के हैं-'आज खुश तो बहुत होंगे तुम।' और इसके बाद वे मंदिरों के फोटो देते हैं। कहने दीजिए उनका यह ब्लॉग फोटो के जरिये आपको दुनिया के बेहतरीन शहरों, गाँवों, लोगों, प्रकृति, जीव-जंतुओं, संतों और गिरजाघरों-मंदिरों की सैर कराता है। यही नहीं, लोकनृत्यों से लेकर मेलों तक, नदियों से लेकर पहाड़ों तक और मुस्कुराते खिलखिलाते लोगों से लेकर उदास चेहरों तक की भी सैर की जा सकती है। इस ब्लॉग को जरूर देखा जाना चाहिए। http://chayachitrakar.blogspot.comचित्र सौजन्य : सुनील दीपक