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Last Modified: गुरुवार, 30 मई 2019 (00:52 IST)

World cup : 44 साल के इतिहास के 5 यादगार मैच, जिनमें हुआ रोमांचक मुकाबला

World cup : 44 साल के इतिहास के 5 यादगार मैच, जिनमें हुआ रोमांचक मुकाबला - World cup :  5 Exciting matches of 44 history
क्रिकेट विश्व कप ने अपने 44 साल के इतिहास में कई रोमांचक मुकाबले देखे हैं लेकिन हम यहां 5 यादगार मैचों का जिक्र कर रहे हैं।
 
1975 विश्व कप : गिलमौर का शानदार प्रदर्शन 
 
टूर्नामेंट का मेजबान इंग्लैंड चिर प्रतिद्वंद्वी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ विश्व कप सेमीफाइनल से पहले डेनिस लिली और जेफ थॉमसन से मिलने वाली चुनौती से वाकिफ था। लेकिन उसे उनके बजाय गैरी गिलमौर की स्विंग गेंदबाजी ने पस्त कर दिया। इस 23 साल के गेंदबाज ने 14 रन देकर 6 विकेट अपने नाम किए जिससे इंग्लैंड की टीम महज 93 रनों पर सिमट गई।
 
गिलमौर के प्रदर्शन के बाद हालांकि ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 39 रनों पर 6 विकेट खो दिए। इसके बाद क्रिस ओल्ड ने अपने घरेलू मैदान हेडिंग्ले में 3 विकेट चटका दिए। फिर गिलमौर बल्लेबाजी के लिए उतरे। गिलमौर की 28 रनों की नाबाद पारी और डग वाल्टर्स के साथ नाबाद भागीदारी से ऑस्ट्रेलिया फाइनल में पहुंच गया।
 
1983 विश्व कप : कपिल का शतक, पर प्रसारण नहीं हुआ
 
जिम्बाब्वे ने डंकन फ्लेचर के हरफनमौला प्रदर्शन के बूते ऑस्ट्रेलिया को हराया था। वह एक और उलटफेर करने की ओर बढ़ रही थी और उसने भारत के 17 रनों पर 5 विकेट उखाड़ लिए थे।
 
लेकिन भारतीय कप्तान कपिल देव ने 138 गेंदों में 175 रनों की शानदार पारी खेली लेकिन इस पारी का लुत्फ टनब्रिज वेल्स में नेविल मैदान में मौजूद दर्शक ही उठा सके, क्योंकि बीबीसी टेक्नीशियन हड़ताल पर थे जिससे इस मैच का टीवी पर प्रसारण नहीं हो पाया था।
 
कपिल की शतकीय पारी से भारत ने 266 रनों का स्कोर बनाया, जो जिम्बाब्वे के लिए काफी ज्यादा साबित हुआ। कपिल का शतक उनकी शानदार नेतृत्व क्षमता का उदाहरण था, क्योंकि 1 हफ्ते बाद ही भारत को चैंपियन बना दिया गया।
 
1999 विश्व कप : ऑस्ट्रेलिया टाई मैच में जीता
 
यह शायद विश्व कप का सबसे रोमांचक मैच था। एजबेस्टन में इस सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने 213 रन बनाए जिसमें दक्षिण अफ्रीका के शॉन पोलाक ने 36 रन देकर 5 विकेट चटकाए थे। जोंटी रोड्स और जाक कैलिस दक्षिण अफ्रीका को जीत की ओर ले जा रहे थे और अंतिम ओवर में उनकी टीम को केवल 9 रन की दरकार थी। फिर 1 रन और 1 विकेट बचा था।
 
लेकिन लांस क्लूजनर ने गेंद मिड-ऑफ की ओर भेजी और 1 रन के लिए भाग लिए। नॉन-स्ट्राइकर छोर पर खड़े एलेन डोनल्ड ने उनकी आवाज नहीं सुनी और अपना बल्ला गिरा दिया। मार्क वॉ ने गेंद लेकर इसे गेंदबाज डेमियन फ्लेमिंग की ओर फेंक दिया।

फ्लेमिंग ने तुंरत ही इसे विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट की ओर फेंक दिया जिन्होंने रनआउट कर दिया। हालांकि मैच टाई रहा, लेकिन ऑस्ट्रेलिया बेहतर नेट रनरेट की बदौलत फाइनल में पहुंच गया।
 
2011 विश्व कप : ओ'ब्रायन ने इंग्लैंड को पस्त किया
 
इंग्लैंड ने आयरलैंड (तब टेस्ट दर्जा प्राप्त नहीं था) के खिलाफ बल्ले से काफी अच्छा प्रदर्शन किया और 7 विकेट पर 327 रन बनाए। विश्व कप मैच में पहले कभी भी किसी टीम ने इस स्कोर का पीछा नहीं किया था।
 
लेकिन बेंगलुरु में केविन ओ'ब्रायन ने विश्व कप इतिहास में सबसे तेज शतक जड़ते हुए आयरलैंड को 3 विकेट से शानदार जीत दिलाई। उन्होंने ऐसा महज 50 गेंदों में किया जिसमें 13 चौके और 6 छक्के जड़े थे। ओ'ब्रायन के आने से पहले आयरलैंड की टीम 5 विकेट पर 111 रनों पर थी।
 
2015 विश्व कप : इलियट ने दक्षिण अफ्रीका का दिल तोड़ा
 
फॉफ डु प्लेसिस और एबी डिविलियर्स ने ऑकलैंड सेमीफाइनल में 5 विकेट पर 281 रन बनाए थे लेकिन बारिश के कारण इसे 43-43 ओवर का कर दिया गया। लेकिन न्यूजीलैंड के लिए ऑलराउंडर ग्रांट इलियट ने अपनी जिंदगी की बेहतरीन पारी खेली। जोहानिसबर्ग में जन्मे इलियट 2001 में न्यूजीलैंड में चले गए थे।
 
न्यूजीलैंड को जीत के लिए 5 रनों की दरकार थी और उसकी 2 गेंदें बची थीं, जब इलियट ने तेज गेंदबाज डेल स्टेन की गेंद पर मिड-ऑन पर शानदार छक्का जड़कर टीम को जीत दिलाई।

यह उनकी नाबाद 84 रनों की मैच विजयी पारी का अंतिम शॉट था जिससे न्यूजीलैंड की टीम अपने पहले विश्व कप फाइनल में पहुंची। इससे पहले उसे 6 सेमीफाइनलों में हार मिली थी। 
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