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Last Modified: मंगलवार, 7 दिसंबर 2021 (08:21 IST)

Omicron के सबसे ज्यादा मामले महाराष्‍ट्र में, एक्सपर्ट ने बताया कैसी होगी तीसरी लहर...

Omicron के सबसे ज्यादा मामले महाराष्‍ट्र में, एक्सपर्ट ने बताया कैसी होगी तीसरी लहर... - omicron cases in Maharashtra
मुंबई। मुंबई में पिछले महीने विदेश से लौटे 2 व्यक्ति कोरोनावायरस (Coronavirus) के ओमीक्रोन (Omicron) स्वरूप से संक्रमित पाए गए हैं। देश में ओमिक्रॉन के सबसे ज्यादा 10 मामले महाराष्‍ट्र में सामने आए हैं। राजस्थान में 9 मरीज मिले हैं। इसके साथ ही गुजरात, कर्नाटक और दिल्ली में भी कोरोना के नए वैरिएंट से संक्रमित मरीज मिले हैं।
 
बृहन्मुंबई महानगर पालिका के अनुसार, दक्षिण अफ्रीका से लौटा एक व्यक्ति अमेरिका से लौटे एक अन्य व्यक्ति के संपर्क में था और दोनों की जांच में ओमीक्रोन पाया गया है। दोनों व्यक्ति कोविड-19 रोधी टीके की दोनों खुराक ले चुके हैं।
 
महाराष्ट्र राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, 'जोखिम वाले' देशों से राज्य आने वाले यात्रियों को अनिवार्य रूप से 7 दिन तक संस्थागत पृथक-वास में रहना होगा। ऐसे यात्रियों की राज्य में पहुंचने के दूसरे, चौथे और सातवें दिन RT-PCR पद्धति से जांच भी होगी। यदि कोई यात्री संक्रमित पाया जाता है, तो उसे अस्पताल में भर्ती किया जाएगा। अगर उसकी रिपोर्ट निगेटिव आती है तो भी उसे सात दिन के लिए घर में पृथक-वास में रहना होगा।
 
सॉर्स-कोवी-2 के नए स्वरूप ओमिक्रोन से कोरोनावायरस महामारी की तीसरी लहर फरवरी में चरम पर पहुंच सकती है, जब देश में प्रतिदिन एक लाख से डेढ़ लाख तक मामले सामने आने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि भारत में नए वैरिएंट ओमिक्रोन के 20 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।
 
कैसी होगी तीसरी लहर : कोविड-19 के गणितीय अनुमान में शामिल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के वैज्ञानिक मनींद्र अग्रवाल ने कहा कि नए स्वरूप के साथ, हमारा मौजूदा अनुमान यह है कि देश में फरवरी तक तीसरी लहर आ सकती है, लेकिन यह दूसरी लहर से हल्की होगी। अब तक हमने देखा है कि ओमिक्रोन से होने वाले संक्रमण की गंभीरता डेल्टा स्वरूप की तरह नहीं है।
 
उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में सामने आए मामलों पर करीबी नजर रखी जा रही है, जहां इस नए स्वरूप के कई मामले सामने आए हैं। अग्रवाल ने कहा कि फिलहाल दक्षिण अफ्रीका में संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने की दर में वृद्धि नहीं दिखी है।