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Last Modified: बुधवार, 22 अप्रैल 2020 (23:10 IST)

Amarnath Yatra पर अनिश्चितता : SASB ने पहले यात्रा रद्द होने की बात कही, फिर बयान वापस लिया

Amarnath Yatra पर अनिश्चितता : SASB ने पहले यात्रा रद्द होने की बात कही, फिर बयान वापस लिया - No decision on Amarnath Yatra yet, says shrine board
जम्मू। कोरोना वायरस महामारी के चलते श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (SASB) की ओर से बुधवार को इस साल की अमरनाथ यात्रा रद्द होने की घोषणा की गई, लेकिन महज आधे घंटे के भीतर ही जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने मीडिया में जारी इस बयान को ‘रद्द करके वापस’ ले लिया।
 
हालांकि इस संबंध में अभी ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है, जिससे 42 दिन चलने वाली यात्रा को लेकर अनिश्चितता पैदा हो गई है। यह यात्रा 23 जून से दो मार्गों अनंतनाग जिले के पहलगाम और गांदरबल जिले के बाल्टाल से शुरू होनी थी।
 
‘कोरोना वायरस महामारी की वजह से श्री अमरनाथ यात्रा रद्द’ शीर्षक से एक आधिकारिक बयान जारी किया गया था। इसमें एक प्रवक्ता ने बताया कि यह निर्णय श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड की 38वीं बैठक में लिया गया है। बैठक राजभवन में उप राज्यपाल जी सी मुर्मु की अध्यक्षता में हुई। उप राज्यपाल बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं।
 
बयान में यह भी कहा गया था कि बोर्ड ने निर्णय लिया है कि ‘प्रथम पूजा’ और ‘संपन्न पूजा’ पारंपरिक उत्साह के साथ संपन्न होगी। हालांकि आधे घंटे के भीतर एक अन्य आधिकारिक बयान जारी कर कहा गया कि ‘कोरोना वायरस महामारी की वजह से श्री अमरनाथ यात्रा रद्द’ शीर्षक से जारी पहले वाले बयान (संख्या-पीआर/डीआई/19/7062) को ‘रद्द और वापस’ लिया गया समझा जाए।
 
इससे पहले उपराज्यपाल मुर्मु ने कहा था कि जिन मार्गों से यह यात्रा गुजरेगी वहां घाटी में कुल 77 रेड जोन की पहचान की गई है। उन्होंने कहा, ‘इस महामारी की वजह से लंगर लगाना, चिकित्सीय सुविधा, शिविर बनाना और सामग्रियों को जुटाना और मार्ग से बर्फ हटाने का कार्य संभव नहीं है।'
 
उन्होंने कहा कि यद्यपि भारत सरकार ने राष्ट्रव्यापी बंद की अवधि को तीन मई तक के लिए बढ़ा दिया है और इसके आगे की स्थिति को लेकर पूर्वानुमान लगाना कठिन है। ऐसे में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि है। प्रवक्ता ने कहा कि बोर्ड ने सर्वसम्मति से महामारी को देखते हुए यात्रा नहीं आयोजित करने के पक्ष में निर्णय लिया।
 
उन्होंने कहा कि दुनिया भर के लाखों श्रद्धालुओं के लिए बोर्ड ने यह भी निर्णय लिया है कि पूजा और शिवलिंग के दर्शन के लिए ऑनलाइन और मीडिया के अन्य माध्यमों के जरिए प्रसारण के रास्ते तलाशे जाएंगे। इससे इस तरह के धार्मिक जमावड़े से बचने का उदाहरण भी पेश किया जाएगा। (भाषा)
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