मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
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Life in the times of corona: इटली का ‘वो’ दुनिया को दिखा रहा जीने का जज्‍बा

Life in the times of corona: इटली का ‘वो’ दुनिया को दिखा रहा जीने का जज्‍बा - Italy
दुनिया कोरोना को हराने के लिए लड़ रही है, इस लड़ाई में कई देश झुलस गए हैं। इटली तो इस वायरस से लगभग तबाह ही हो गया है, ऐसे में इटली का ही एक कस्‍बा पूरी दुनिया के लिए उम्‍मीद की किरण बना हुआ है। इस कस्‍बे का नाम ‘वो’ है।

‘वो’ ने कोरोना से बचने के लिए जो तैयारी और व्‍यवस्‍था की है, वो दुनिया के लिए मिसाल बना हुआ है।
दरअसल, ‘वो’ इटली के बाहरी इलाके वेनेतो क्षेत्र में आता है। इसकी आबादी लगभग 3 हजार है और यह खूबसूरत वेनिस से करीब 70 किलोमीटर दूर है।

वो 21 फरवरी का दिन था, जब अचानक ‘वो’ शहर का नाम दुनिया के सारे अखबारों की हैडलाइंस में था। इस दिन यहां एक व्‍यक्‍ति की कोरोना वायरस से संक्रिमत मरीज की मौत हो गई थी। इसके बाद इटली के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने जैसे ही इसे एक क्‍लस्‍टर इंफेक्‍शन बताया। ‘वो’ ने 23 फरवरी को स्‍वेच्‍छा से खुद को क्वारंटाइन कर घोषित कर लिया।

कस्‍बे के लोगों ने एकजुट होकर पूरे शहर के आसपास लोहे की चादर से एक दीवार बना डाली। फिर तय किया गया कि कोई भी इस दीवार से न तो बाहर जा सकता है और न ही अंदर आ सकता है। सिर्फ दवाओं के साथ ही किसी को अंदर जाने की अनुमति दी गई।

‘वो’ के स्‍थानीय पार्षद अलेस्सियो टूरेट्टा ने ईयू ऑब्‍जर्वर से चर्चा में कहा कि हमारी मुख्‍य रणनीति यह थी कि इस आपात स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति में लोगों को क्‍वारंटाइन करना और ज्‍यादा से ज्‍यादा टेस्‍ट करना।

दरअसल, यह वही मॉडल था जिसे दक्षिण कोरिया में सफलतापूर्वक अपनाया गया था। ठीक इसी तरह ‘वो’ कस्‍बे की 97 प्रतिशत लोगों की जांच की गई। इटली में ऐसा कहीं नहीं किया गया।

उन्‍होंने एक दिन में 800 नमूनों की जांच की। 29 फरवरी को सामूहिक जांच के बाद 3 प्रतिशत लोग कोरोना पॉटिटिव निकले। इन सभी को घर में ही आवश्‍वयक रूप से कैद कर दिया गया। इसके अलावा जो लोग गंभीर रूप से बीमार थे, उन्‍हें तत्‍काल हॉस्पिटल ले जाया गया।

इतना ही नहीं, क्‍वेरेंटाइन को भी सुनिश्‍चित किया गया। जो लोग घर में कैद थे, उन्‍हें दिन में कई बार फोन किया गया और यह जाना गया कि कहीं वे घर से बाहर या भाग तो नहीं गए। उनकी स्थिति की लगातार जांच की गई और बुखार की जांच हुई। टेस्‍ट के परिणाम आने के बाद सभी लोगों को घर में ही रहने को कहा गया। उन्‍हें बहुत कम बाहर जाने दिया गया। यह रणनीति काम कर गई। 6 और 8 मार्च को जब फिर जांच हुई तो केवल 1 प्रतिशत लोगों को ही कोरोना पॉजिटिव मिला। 23 मार्च को बीमारी का कोई संक्रमण नहीं मिला। अब यहां कोरोना वायरस नहीं है।