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Last Updated : मंगलवार, 27 अप्रैल 2021 (17:23 IST)

शवों के अंतिम संस्कार पर महाराष्ट्र सरकार और BMC से High Court ने मांगा जवाब

शवों के अंतिम संस्कार पर महाराष्ट्र सरकार और BMC से High Court ने मांगा जवाब - High Court seeks information from Maharashtra government, BMC on condition of crematoriums
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 से जान गंवाने वालों के शव घंटों तक नहीं रखे जा सकते और इसके साथ उसने महाराष्ट्र सरकार तथा बीएमसी से राज्य तथा मुंबई में श्मशानों की स्थिति के बारे में अदालत को अवगत कराने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने कहा कि कई श्मशानों में शव के अंतिम संस्कार के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है और पीड़ितों के रिश्तेदारों को श्मशान के बाहर कतार में लगे रहना पड़ता है।
 
अदालत ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार और अन्य नगर निकायों को इस मुद्दे के समाधान के लिए कुछ ठोस व्यवस्था तैयार करनी चाहिए। घंटों तक शव नहीं रखे जा सकते। 
 
अदालत ने कहा कि अगर श्मशान में कतार लगी हुई है तो अस्पतालों से शव नहीं छोड़े जाने चाहिए।
 न्यायमूर्ति कुलकर्णी ने महाराष्ट्र के बीड जिले की एक घटना का हवाला दिया जहां कोविड-19 संक्रमण के शिकार 22 लोगों के शव को एक ही एंबुलेंस से श्मशान में पहुंचाया गया।
 
 अदालत कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी, ऑक्सीजन की आपूर्ति, बेड की किल्लत और अन्य मुद्दों के संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया गया। 
 
एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता सिमिल पुरोहित ने अदालत से कहा कि श्मशानों में टोकन वितरित किए जा रहे हैं।
 
अदालत ने केंद्र सरकार को भी महाराष्ट्र को रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति और आवंटन पर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
 
 अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार अवगत कराए कि रेमडेसिविर का कितना आवंटन हुआ। कोविड-19 के मामलों के हिसाब से महाराष्ट्र शीर्ष पर है। 
 
पीठ ने उस घटना पर भी केंद्र सरकार से जवाब मांगा है जिसमें भाजपा के सांसद सुजय विखे पाटिल ने दिल्ली से रेमडेसिविर की शीशियां मंगाईं और महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में इनका वितरण किया।
 
 अदालत ने कहा कि सांसद ने दिल्ली से रेमडेसिविर की 10,000 शीशियां मंगाईं और अहमदनगर में इसका वितरण किया। क्या यह निजी वितरण की तरह नहीं है ? यह कैसे संभव हुआ। दिल्ली में भी संकट है और वहां पर रेमडेसिविर की कमी है। 
 
मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा कि अगर भविष्य में अदालत को ऐसी जानकारी मिलती है कि किसी व्यक्ति ने कंपनी से इंजेक्शन लेकर निजी तौर पर उसका वितरण किया तो ‘हम कार्रवाई करेंगे।’ (भाषा)