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Written By भाषा
Last Updated : शनिवार, 4 अप्रैल 2020 (13:11 IST)

Corona Effect: भविष्य में लड़खड़ा सकती है खाद्य आपूर्ति श्रृंखला

Corona Effect: भविष्य में लड़खड़ा सकती है खाद्य आपूर्ति श्रृंखला - Food supply chain may falter
संयुक्त राष्ट्र। कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के तेजी से बढ़ते प्रकोप का अब तक वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखला पर बहुत कम प्रभाव पड़ा है लेकिन चिंता से ग्रस्त बड़े खाद्य निर्यातक देश दहशत में आए तो यह स्थिति बहुत जल्द बिगड़ सकती है।
विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने नई रिपोर्ट 'कोविड-19 : विश्व के सबसे गरीब लोगों पर संभावित प्रभाव : वैश्विक महामारी के आर्थिक एवं सुरक्षात्मक अनुमान का डब्ल्यूएफपी का अनुमान' में कहा है कि मूल अनाजों के लिए वैश्विक बाजार पूरी तरह भरे-पूरे हैं और कीमतें आमतौर पर कम हैं।
 
हालांकि खाद्य उत्पादन एवं आपूर्ति की बेहद वैश्वीकृत प्रकृति को देखते हुए इन सामग्रियों को विश्व के 'ब्रेडबास्केट' (उत्पादन के मुख्य केंद्र) से निकालकर उन स्थानों तक पहुंचाने की जरूरत है, जहां इनकी खपत है तथा कोरोना वायरस संबंधी बचाव उपाय इसे बेहद चुनौतीपूर्ण बना रहे हैं।
डब्ल्यूएफपी की वरिष्ठ प्रवक्ता एलिजाबेथ बिर्स ने कहा कि अभी तक किसी तरह की कमी नहीं है, खाद्य आपूर्ति पर्याप्त है और बाजार अपेक्षाकृत स्थिर हैं। वैश्विक अनाज भंडार सहज स्तर पर है और गेहूं तथा अन्य मुख्य अनाजों की संभावना भी पूरे साल सकारात्मक नजर आ रही है, लेकिन बहुत जल्द हमें खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं में दरार पड़ती दिख सकती है।
 
बिर्स ने कहा कि ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि अगर बड़े निर्यातकों का मूल खाद्य सामग्रियों के भरोसेमंद प्रवाह में यकीन नहीं रहेगा तो हड़बड़ी में खरीदारी बढ़ेगी और कीमतों में उछाल आएगा। रिपोर्ट में खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के एक अनाज बाजार विशेषज्ञ के हवाले से कहा गया कि समस्या आपूर्ति की नहीं बल्कि खाद्य सुरक्षा को लेकर व्यवहारगत परिवर्तन है। विशेषज्ञ का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है।
 
विशेषज्ञ ने कहा कि थोक में खरीदारी करने वाले अगर सोचने लगें कि मई और जून में वे गेहूं या चावल नहीं खरीद पाएंगे, तो सोचिए क्या होगा? इसी सोच के कारण वैश्विक खाद्य आपूर्ति संकट पैदा हो सकता है। कम आय वाले देशों के लिए यह बर्बादी लाने वाले हो सकते हैं और यह लंबे समय के लिए हानिकारक प्रभाव ला सकते हैं। इससे उबरने की रणनीतियां स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसी आवश्यक सेवाओं की कीमत पर तैयार होंगी।
 
डब्ल्यूएफपी की रिपोर्ट में कहा गया कि खाद्य कीमतों एवं बाजारों पर निगरानी जरूरी है और पारदर्शी तरीके से सूचना देना भी ताकि लोगों की परेशानी और सामाजिक अशांति को टालकर सरकारी नीतियों को मजबूत बनाया जा सकता है।  (भाषा)
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