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Last Updated : गुरुवार, 22 जुलाई 2021 (20:15 IST)

COVID-19 : भारत में Delta स्वरूप का प्रभुत्व बरकरार, इंसाकॉग ने किया अलर्ट

COVID-19 : भारत में Delta स्वरूप का प्रभुत्व बरकरार, इंसाकॉग ने किया अलर्ट - Delta form dominance in India continues
नई दिल्ली। देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 के सामने आ रहे नए मामलों में सार्स-कोव-2 वायरस के डेल्टा स्वरूप का प्रभुत्व बरकरार है, जबकि वायरस के अन्य स्वरूपों से संक्रमण की दर में कमी आ रही है। यह जानकारी सरकार की भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इंसाकॉग) ने दी, जो देश में कोरोनावायरस के जीनोम सीक्वेंसिंग (आनुवंशिकी अनुक्रमण) के कार्य में शामिल है।

इंसाकॉग ने कहा कि मौजूदा समय में कोरोनावायरस के डेल्टा स्वरूप के उप स्वरूप का कोई सबूत नहीं है, जिसको लेकर डेल्टा से अधिक चिंता है। सरकारी समिति ने कहा, हाल में लिए गए नमूनों की जांच के मुताबिक भारत के सभी हिस्सों में सामने आ रहे नए कोविड-19 के मामलों में डेल्टा स्वरूप का प्रभुत्व बरकरार है और इस प्रकार से दुनिया में तेजी से संक्रमण फैल रहा है और दक्षिण एशिया सहित कई हिस्सों में महामारी के दोबारा उभरने के लिए जिम्मेदार है। यह प्रकार वैश्विक स्तर पर तेजी से फैल रहा है।

इंसाकॉग ने कहा कि अधिक टीकाकरण और मजबूत जन स्वास्थ्य कदम उठाने वाले क्षेत्र, जैसे सिंगापुर बेहतर कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि भारत में मार्च और मई के बीच आई कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर के लिए डेल्टा स्वरूप जिम्मेदार था जिसकी वजह से हजारों लोगों की मौत हुई और लाखों लोग संक्रमित हुए।

इंसाकॉग ने बताया कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अध्ययन में पुष्टि हुई कि टीका कराने के बाद संक्रमित हुए मामले डेल्टा स्वरूप से आए लेकिन महज 9.8 प्रतिशत मामलों में मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा जबकि मृत्युदर 0.4 प्रतिशत पर सीमित रही।

उसने बताया कि डेल्टा स्वरूप से संक्रमित होने के आंकड़े बढ़ रहे हैं क्योंकि घर में संपर्क से डेल्टा स्वरूप से संक्रमित होने की दर अल्फा स्वरूप के मुकाबले दुगुनी है। वायरस के अन्य स्वरूपों से संक्रमण बहुत कम है और डेल्टा के मुकाबले उनकी दर कम हो रही है।
इंसाकॉग ने जोर देकर कहा, संक्रमण को रोकने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय और टीकाकरण अहम है। भारत में लाम्ब्डा स्वरूप से संक्रमण का अबतक एक भी मामला नहीं आया है। ब्रिटिश आंकड़ों के मुताबिक लाम्ब्डा स्वरूप से प्राथमिक रूप से यात्री या उनके संपर्क में आए लोग संक्रमित हुए हैं और डेल्टा के मुकाबले इससे संक्रमण की दर कम है।

गौरतलब है कि इंसाकॉग केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और आईसीएमआर की संयुक्त पहल है जिनके अधीन वायरस के जीनोम में आने वाले बदलाव की निगरानी करने वाली 28 राष्ट्रीय प्रयोगशालाए्र काम कर रही हैं।(भाषा)