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Last Updated : शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020 (21:25 IST)

उत्तर प्रदेश में घोषणाएं रोज, परंतु धरातल पर कुछ नहीं : राष्ट्रीय लोकदल

उत्तर प्रदेश में घोषणाएं रोज, परंतु धरातल पर कुछ नहीं : राष्ट्रीय लोकदल - Announcements daily in Uttar Pradesh, but nothing on the ground
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रोज घोषणाएं की जा रही हैं, परंतु धरातल पर लोगों को कुछ नहीं मिल रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार अन्य प्रदेश से अपने प्रदेश के सभी श्रमिकों को लाने में नाकामयाब रही है और जिन लोगों को ला पाई है, उन लोगों के उपचार/टेस्टिंग की कोई व्यवस्था नहीं की है।

सरकार द्वारा कहा गया था कि गांव में श्रमिकों को मनरेगा के तहत रोज़गार दिया जाएगा,जिनमें अभी तक कोई कार्य नहीं किया गया।उत्तर प्रदेश में 66 प्रतिशत लोग किसान हैं,किसान का वर्तमान सरकार जमकर शोषण कर रही है। सरकार किसानों को लेकर जुमलेबाजी करने में व्यस्त है,सरकार पर गन्ना किसानों का 15 हजार करोड़ से ऊपर बकाया है,जिसकी कोई चिंता सरकार को नहीं है।

किसान का आधे से ज्यादा गन्ना खेत में खड़ा है,गन्ना अधिकारी रिसर्वे के नाम पर गन्ना पर्ची किसान को नहीं दे रहे हैं। किसान लॉकडाउन में बुरी तरह आहत हैं,  दूसरी ओर प्रदेश सरकार द्वारा गेहूं किसानों का जमकर शोषण किया जा रहा है,सरकार द्वारा 1925 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं का मूल्य निर्धारित किया गया है,जिसमें 20 रुपए प्रति क्विंटल मजदूरी/सफाई का सरकार मंडी परिषद के माध्यम अपने आप देती थी,परंतु इस बार सरकार ने वो 20 रुपए किसान से काटना शुरू कर दिए,जो सरासर गलत है।

दूसरे इस बार किसान का गेहूं क्रय केंद्र पर रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है,किसान से गेहूं लेकर उसे भुगतान के बारे में नहीं बताया जा रहा है कि भुगतान कब होगा,क्रय केंद्र गांव स्तर पर नहीं बनाए गए हैं। जो बनाए गए हैं उनमें गेहूं लेने के लिए पर्याप्त बारदाना नहीं है, जिससे किसान बिचौलियों को गेहूं बेचने को मजबूर हैं और किसान को फसल का दोगुना दाम देने का सपना दिखाने वाली सरकार किसान को लागत के आधे दाम में फसल को बेचने को मजबूर कर रही है।

अनिल दुबे ने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल मांग करता है कि प्रदेश के किसानों का अविलंब गन्ना भुगतान कराया जाए और प्रदेश के गेहूं क्रय केंद्रों का निरीक्षण कराया जाए, उनकी संख्या बढ़ाई जाए। सरकार द्वारा घोषित 1925 रुपए प्रति क्विंटल का भुगतान किसान का हो। 20 रुपए प्रतिवर्ष की भांति सरकार अपनी ओर से सफाई-ढुलाई का दे।